अमेरिकी राष्ट्रपति के आगामी चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों और विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हो गई। यह झड़प एक रैली स्थल के बाहर हुई जहां दंगा रोधी उपकरणों से लैस पुलिस ने 35 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
चीन ने अपने दक्षिणपूर्वी फुजियान प्रांत की ओर तेजी से बढ़ रहे साउडलर तूफान से बचाव की कोशिशें तेज कर दी हैं। इसके मद्देजनर 1.58 लाख लोगों को उनके घरों से हटाकर सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। यह तूफान आज किसी समय इस प्रांत में कहर बरपाएगा।
दंगा कैसा भी हो कहीं का भी हो उसकी सबसे ज्यादा मार औरतों और बच्चों पर पड़ती है। बीती 25 मई को हरियाणा के गांव अताली में फैली सांप्रदायिक हिंसा में भी ऐसा ही हुआ। इतिहास गवाह है कि दंगों की सबसे कमजोर कड़ी महिलाएं रही हैं। इसे देखते हुए अताली गांव के मुसलमान परिवारों ने 25 मई को हुए पहले हमले के फौरन बाद अपनी बहू-बेटियों महफूज ठिकानों पर भेज दिया। अताली में 4 जुलाई हुए दूसरे हमले में मुसलमान घरों में जवान बहू-बेटियां नहीं थीं।
मैंने मुजफ्फरनगर के सांप्रदायिक दंगों की कवरेज भी की थी। अताली (बल्लभगढ़-हरियाणा) के सांप्रदायिक दंगों और मुजफ्फरनगर के दंगों में बहुत सी समानताएं पाईं लेकिन असमानता है तो सिर्फ एक। वह यह है कि अताली के 150 से ज्यादा गांव छोड़ने वाले मुसलमानों का कहना है, ‘ इसे मुजफ्फरनगर नहीं बनने देंगे, यह अताली है अताली, गांव हमारा था, हमारा है, हम वहां जाएंगे। इंशाल्ला हो सका तो ईद गांव में होगी।’
40 साल पहले आपातकाल के रूप में हुई लोकतंत्र की हत्या के लिए अक्सर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी के नाम ही सामने आते हैं। लेकिन इन दोनों के अलावा भी कई अहम किरदार आपातकाल में अहम भूमिका निभा रहे थे।