भारतीय क्रिकेट बोर्ड की भारत और न्यूजीलैंड के बीच चल रही वर्तमान श्रृंखला बीच में रद्द करने की धमकी को देखते हुए न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा पैनल ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि उन्होंने बैंकों को बोर्ड के खाते फ्रीज करने के निर्देश नहीं दिये और वह अपने नियमित खर्च कर सकता है।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ वर्तमान टेस्ट श्रृंखला के भविष्य को लेकर कयास लगाने से इन्कार कर दिया लेकिन स्पष्ट शब्दों में कहा कि पैसे के बिना खेल नहीं चलाया जा सकता हालांकि लोढ़ा पैनल ने भी स्पष्टीकरण दिया कि उसने बैकों को बीसीसीआई के खाते फ्रीज करने के निर्देश नहीं दिये हैं।
देश के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पूरी तरह से अनदेखी करते हुए भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने आज एक राज्य एक वोट, 70 वर्ष की आयु सीमा, कार्यकाल के बीच में तीन साल का ब्रेक जैसी लोढा समिति की अहम सिफारिशों को खारिज कर दिया।
उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त लोढ़ा समिति की सिफारिशों की अनदेखी करते हुए बीसीसीआई ने पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय चयन समिति की आज घोषणा की। इसके दो सदस्य ऐसे हैं जिन्हें टेस्ट मैच खेलने का अनुभव नहीं है।
लोढा समिति ने बीसीसीआई के सामने सर्वोच्च परिषद के गठन और आम सालाना बैठक (एजीएम) आयोजित करने के लिए 15 दिसंबर की समयसीमा तय की है जबकि आईपीएल की नई संचालन परिषद गठित करने के लिए 30 दिसंबर की समयसीमा तय की गई है।
देश में दलितों की राजनीति करने वालों को मुंह की खानी पड़ी है। इसी साल जनवरी में हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में आत्महत्या करने वाला 26 वर्षीय रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला को लेकर नया खुलासा हुआ है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित जांच पैनल के मुताबिक रोहित दलित नहीं था।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को क्रियांवित करने के लिए केंद्र सरकार ने मंगलवार को अधिसूचना जारी कर दिया। अधिसूचना जारी हो जाने से केंद्रीय कर्मचारियों-अधिकारियों को अगस्त माह से ही बढ़ा हुआ वेतन मिलने की संभावना है।
पिछले दिनों जेएनयू में आयोजित एक विवादित कार्यक्रम और उसमें कथित तौर पर संसद हमले के दोषी अफजल गुरु के समर्थन में की गई नारेबाजी के मामले में कुछ छात्रों को सजा देने के मुद्दे पर जेएनयू ने कानूनी राय मांगी है। कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर राष्ट्र विरोधी नारे भी लगाए गए थे।
भाजपा और संघ से जुड़े वकीलों की सरकार से शिकायत है कि सरकार बदल गई लेकिन केंद्र सरकार के अधीन दिल्ली विकास प्राधिकरण और कुछ सार्वजनिक उपक्रमों में वकीलों का पैनल नहीं बदला।