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जीडीपी के आंकड़ों से दिखा हार्वर्ड और हार्ड वर्क वालों की सोच का फर्क : मोदी

जीडीपी के आंकड़ों से दिखा हार्वर्ड और हार्ड वर्क वालों की सोच का फर्क : मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी के बाद आये सकल घरेलू उत्पाद :जीडीपी: सम्बन्धी आंकड़ों को विरोधियों के दुष्प्रचार का करारा जवाब करार देते हुए बुधवार को कहा कि देश के ईमानदार लोगों, किसानों और नौजवानों ने जीडीपी में सुधार के जरिये हार्वर्ड और हार्ड वर्क वालों की सोच के बीच फर्क जाहिर कर दिया है।
नोटबंदी का असर नहीं, सात फीसदी रही जीडीपी वृद्धि दर

नोटबंदी का असर नहीं, सात फीसदी रही जीडीपी वृद्धि दर

नोटबंदी की वजह से आर्थिक गतिविधियों के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंकाओं को दरकिनार करते हुए चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रही है, जबकि पूरे वर्ष की वृद्धि का दूसरा अग्रिम अनुमान भी 7.1 प्रतिशत पर पूर्ववत रहा है। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने इन आंकड़ों पर कहा कि ये आंकड़े पिछले वित्त वर्ष के ऊचे आधार प्रभाव की वजह से हैं और इनमें नोटबंदी का अधिक नकारात्मक प्रभाव नहीं दिख रहा है।
नोटबंदी : जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी वृद्धि में 0.3 फीसदी की कमी रहेगी

नोटबंदी : जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी वृद्धि में 0.3 फीसदी की कमी रहेगी

नोटबंदी से बने गतिरोध की वजह से भारत की सकल घरेलू उत्पाद :जीडीपी: वृद्धि अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में करीब 6 प्रतिशत रह सकती है जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में यह और धीमी पड़कर 5.7 प्रतिशत रह सकती है। नोमुरा की रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।
नोटबंदी का सबसे बुरा पहलू आना अभी बाकी : मनमोहन

नोटबंदी का सबसे बुरा पहलू आना अभी बाकी : मनमोहन

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट की आशंका के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज लोगों को सचेत किया कि बड़े नोटों को अमान्य करने के निर्णय के मद्देनजर सबसे बुरा पहलू अभी आना शेष है। नोटबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से आयोजित कार्यक्रम में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने दावा किया कि आठ नवंबर की कैबिनेट की बैठक का कोई रिकार्ड नहीं है जिसमें सरकार ने कहा है कि उसने बड़े नोटों को अमान्य करने का निर्णय किया।
नोटबंदी का जीडीपी पर पड़ेगा प्रतिकूल असर : मनमोहन

नोटबंदी का जीडीपी पर पड़ेगा प्रतिकूल असर : मनमोहन

नोटबंदी का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर काफी ज्यादा प्रतिकूल असर होगा और यह पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव में एक मुद्दा होगा। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज यह राय जताई।
नोटबंदी के असर को शामिल किए बिना ही जीडीपी ग्रोथ में गिरावट का अनुमान

नोटबंदी के असर को शामिल किए बिना ही जीडीपी ग्रोथ में गिरावट का अनुमान

सरकार ने वित्त वर्ष 2017 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) ग्रोथ के अनुमान के आंकड़े जारी कर दिए हैं। वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि वर्ष 2015-16 में यह 7.6 फीसदी पर थी। गौर हो कि पिछली क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआई ने भी ग्रोथ की रफ्तार के अनुमान को 0.5 फीसदी घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया था। 7.1 फीसदी विकास दर का अनुमान पिछले 3 साल का निचला स्तर है।
'नोटबंदी के बाद आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से जीडीपी वृद्धि दर 10 फीसद होगी'

'नोटबंदी के बाद आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से जीडीपी वृद्धि दर 10 फीसद होगी'

बड़े नोटों को अमान्य करने के निर्णय को गरीबोन्मुखी और कालाधन के खिलाफ जंग करार देते हुए वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि इस निर्णय से देश में आर्थिक गतिविधियों का दायरा बढ़ेगा और आने वाले समय में जीडीपी वृद्धि दर 2 प्रतिशत बढ़कर 10 प्रतिशत के स्तर तक पहुंचेगी।
जीडीपी वृद्धि दर सितंबर तिमाही में 7.3 प्रतिशत रही

जीडीपी वृद्धि दर सितंबर तिमाही में 7.3 प्रतिशत रही

देश की जीडीपी वृद्धि दर, मुख्य रूप से विनिर्माण, सेवा तथा व्यापार क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.3 प्रतिशत रही। इससे पिछले तीन महीने के दौरान जीडीपी वृद्धि सालाना आधार पर 7.1 प्रतिशत थी।
पीएम मोदी के नोटबंदी से देश की जीडीपी की वृद्धि दर रह जाएगी आधी

पीएम मोदी के नोटबंदी से देश की जीडीपी की वृद्धि दर रह जाएगी आधी

मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद इस वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी के 3.5 फीसदी की दर से वृद्धि करने का अनुमान लगाया जा रहा है। अभी तक 2017 के वित्तीय वर्ष में घरेलू अर्थव्यवस्था 7.5 फीसदी की दर से बढ़ोतरी कर रही थी। इस तरह नोटबंदी के बाद देश की जीडीपी की वृद्धि की गति लगभग आधे रहने की आशंका है।
आर्थिक मोर्चे पर धीमी पड़ी रफ्तार, विकास दर घटकर 7.1 फीसदी हुई

आर्थिक मोर्चे पर धीमी पड़ी रफ्तार, विकास दर घटकर 7.1 फीसदी हुई

सूखा और खनन व निर्माण क्षेत्र की धीमी गति के चलते विकास दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घटकर 7.1 प्रतिशत रह गयी है जो कि पिछली छह तिमाही में सबसेे कम है। जीडीपी में वृद्धि का ताजा स्तर वित्त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7.5 प्रतिशत की अपेक्षा कम है।
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