इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इन दिनों लखनऊ समेत प्रदेश के कई शहरों में छाई स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक धुंध और प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर नाराजगी जाहिर करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को स्थिति से निपटने के लिये फौरी कदम उठाने के आदेश दिए हैं। उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ के न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साही और न्यायमूर्ति अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कल लखनउ समेत प्रदेश के कई इलाकों में छायी धुंध के मामले में दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
राजधानी के लोग 17 साल के सबसे घने स्मॉग (धुंध) का सामना कर रहे हैं। इसे देखते हुए दिल्ली के 1800 स्कूलों में शनिवार को छुट्टी कर दी गई है। अगर सोमवार को भी हालात ठीक नहीं होते हैं तो छुट्टी बढ़ाई जा सकती है। सेंटर फॉर साइंस एन्वार्यन्मेंट (सीएसई) ने सरकार से कहा था कि इसे इमरजेंसी के तौर लेना चाहिए और बच्चों को घर में रहने की सलाह दी जानी चाहिए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि खेतों में कचरा जलाने से पॉल्यूशन बढ़ रहा है।
पर्यावरण क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने आज कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पिछले 17 वर्षों में सबसे खतरनाक धुंध छायी हुई है और दिल्ली सरकार को स्वास्थ्य चेतावनी जारी करके लोगों से बच्चों को घर के अंदर रखने के लिए कहना चाहिए। वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण स्वास्थ्य आपातकाल की जैसी स्थिति बनी हुई है।
कश्मीर में बर्फबारी के चलते राजस्थान में न्यूनतम और अधिकतम तापमान में गिरावट के साथ सर्दी का असर दिखने लगा है। उत्तर भारत में घने कोहरे के चलते रेल यातायात प्रभावित हो रहा है।
धुंध से प्रभावित बीजिंग में प्रदूषण को लेकर पहली बार रेड अलर्ट जारी किया गया जिससे वहीं 2. 2 करोड़ लोगों के इस शहर में निजी वाहनों में आधे वाहन बुधवार सड़कों पर नहीं उतरे और स्कूल और भवन निर्माण स्थल बंद रहे। मजे की बात है कि स्मॉग के इस माहौल में लोग मॉस्क और एयर प्यूरिफायर के बजाय कंडोम और स्पोर्ट्सवियर की जबर्दस्त ऑनलाइन बुकिंग करा रहे हैं।
कई दिनों से गहरे धुंध से प्रभावित चीन की राजधानी बीजिंग में प्रदूषण को लेकर आज रेड अलर्ट लागू किया गया है। चीन की राजधानी की हवा खतरनाक हद तक हानिकारक हो गई है।
संजीव श्रीवास्तव पेशे से टीवी पत्रकार हैं। उनकी एक पुस्तक - समय, सिनेमा और इतिहास भारत सरकार के प्रकाशन विभाग से प्रकाशित है। संजीव की कविताओं में धर्म, राजनीति और इस सबके बीच पिसती मनुष्यता का ऐसा विवरण है जो किसी को भी सोचने पर मजबूर कर सकता है।
दिनेश पाठक चर्चित कथाकार हैं। सभी शीर्षस्थ पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं। कुछ कहानियों का अन्य भाषा में अनुवाद भी हुआ है। अब तक उनके नौ कथा संग्रह, दो उपन्यास और एक संपादित पुस्तक प्रकाशित हुई है। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में - शायद यह अंतहीन, धुंध भरा आकाश, जो गलत है, इन दिनों वे उदास हैं, रात के बाद, अपने ही लोग, पारुल दी, नस्ल और देखना एक दिन शामिल है।