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‘भाषा का कोई धर्म नहीं होता, बल्कि मजहब को भाषा की जरूरत होती है’

‘भाषा का कोई धर्म नहीं होता, बल्कि मजहब को भाषा की जरूरत होती है’

उर्दू जबान की तरक्की के लिए फिक्रमंद साहित्यकारों और शिक्षाविदों का मानना है कि इस भाषा को सिर्फ मुसलमानों की जबान के तौर पर पेश कर एक दायरे में सीमित करने की कोशिशें की जा रही हैं जबकि असलियत यह है कि यह पूरे देश में और विभिन्न समुदायों में बोली जाती है और इसके विकास में सभी का अहम योगदान है। इसके अलावा उर्दू और हिंदी छोटी और बड़ी बहने हैं और इनमें आपस में कोई टकराव नहीं है।
बॉब डिलन को साहित्य का नोबेल पुरस्कार सही निर्णय नहीं : बांड

बॉब डिलन को साहित्य का नोबेल पुरस्कार सही निर्णय नहीं : बांड

विख्यात लेखक रस्किन बांड ने आज कहा कि गायक-गीतकार बॉब डिलन को साहित्य का नोबेल पुरस्कार देने का निर्णय सही नहीं है और यह उन सभी महान लेखकों का एक अपमान है जिन्हें यह पुरस्कार अभी तक मिला है।
अमेरिकी गायक और गीतकार बॉब डिलेन को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार

अमेरिकी गायक और गीतकार बॉब डिलेन को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार

अमेरिकी गीतकार बॉब डिलेन को इस साल का नोबेल साहित्य पुरस्कार दिया जाएगा। डिलेन यह प्रतिष्ठित सम्मान हासिल करने वाले पहले गीतकार हैं। इस घोषणा ने पुरस्कार पर नजर जमाए हुए लोगों को हैरान कर दिया है।
हिन्दी आम आदमी की भाषा, उच्च शिक्षा में बढ़ावा दें: सुभाष चंद्रा

हिन्दी आम आदमी की भाषा, उच्च शिक्षा में बढ़ावा दें: सुभाष चंद्रा

राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा का कहना है कि कोई भी भाषा हिन्दी का स्थान नहीं ले सकती क्योंकि यह आम आदमी की भाषा है। ऐसे में हिन्दी को उच्च शिक्षा में शिक्षा का माध्यम (एमओआई) बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। चंद्रा ने यह बातें साहित्य अकादमी द्वारा हिन्दी दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहीं।
साहित्योत्सव में डूबे रसिक

साहित्योत्सव में डूबे रसिक

साहित्य अकादमी के साहित्योत्सव में ‘गांधी, आंबेडकर, नेहरू: निरंतरता तथा अलगाव’विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारतीय इतिहास और संस्कृति की प्रख्यात अध्येता कपिला वात्स्यायन ने अपनी बात रखी।
मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

गीत, कविता, कहानियां, गजल, निबंध हर विधा में रामदरश मिश्र ने अपनी कलम चलाई है। वह नामी साहित्यकार से पहले संवेदनशील, उदार, स्नेहशील, सहज और सहृदयी व्यक्तित्व के स्वामी हैं। सन 2015 का साहित्य अकादमी पुरस्कार उनकी पुस्तक आग की हंसी के लिए देने की घोषणा हुई है। इस मौके पर साहित्य अकादमी, दिल्ली, के सभागार रामदरश मिश्र जी ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में अपने पाठकों, प्रशंसकों से रूबरू हुए।
साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार

साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार

साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी द्वारा 23 भारतीय भाषाओं के युवा रचनाकारों को साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार-2015 प्रदान किए गए। विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा, कोई भी पुरस्कार या राशि तो वापस की जा सकती है किंतु प्राप्त सम्मान कभी वापस नहीं किया जा सकता। यह स्वयं द्वारा अर्जित होता है और समाज यानी ‘लोक’ की इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
साहित्य को लेकर हम लापरवाह - उदयन वाजपेयी

साहित्य को लेकर हम लापरवाह - उदयन वाजपेयी

साहित्यिक पत्रिका समास के संपादक और साहित्यकार उदयन वाजपेयी अपनी कहानियों से ज्यादा उनके द्वारा लिए गए विभिन्न हस्तियों के साक्षात्कार के लिए पहचाने जाते हैं। कई साहित्यिक पत्रिकाओं के बीच समास का अलग तेवर है। स्थानीय पुट के साथ-साथ इसमें राष्ट्रीयता का दखल भी इसमें कम नहीं होता। साहित्यिक पत्रिकाओं की कमी और इस दुनिया के बदलते तेवर पर उन्होंने कई पहलुओं पर अपनी बात साझा की।
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