 
 
                                    न्याय की पराकाष्ठा, आखिरकार 92 साल के व्यक्ति को जाना पड़ेगा जेल
										    झूठी शान की खातिर 1980 में हुई हत्या के एक मामले में दोषी करार दिए गए बिस्तर पर पड़े 92 वर्षीय एक व्यक्ति को आखिरकार जेल जाना पड़ेगा क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा काटने के लिए पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने से उसे कोई भी छूट प्रदान करने से मना कर दिया।										
                                                                                
                                     
                                                 
  
  
  
  
  
  
  
  
  
			 
                     
                    