अखबारों की छोटी सी खबर से आम जनता को पता चला कि 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस होता है। हिंदी के प्रति प्रतिबद्ध सरकार में केवल विदेश मंत्रालय ने एक आयोजन किया।
विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) उत्साह से मन गया। विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने हिंदी को प्रतिष्ठित करने के लिए अपने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृढ़ संकल्प के उद्बोधन से समारोह में उपस्थित हिंदी प्रेमियों को प्रसन्न कर दिया। तालियां बजी। विदेश मंत्रालय और केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा परदेसियों को हिंदी का ज्ञान बांटने और दूतावासों-उच्चायोगों में हिंदी का प्रयोग बढ़ाने के प्रयास का स्वागत ही होना चाहिए। भारत में रहकर केवल पांच महीने में अच्छी हिंदी सीख चुकी रूसी छात्रा सुवमोनिया ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता धारा-प्रवाह सुना कर सबको प्रभावित कर दिया।
एक अवॉर्ड समारोह के दौरान अमिताभ बच्चन की बहू और अभिनेत्री ऐश्वर्या राय जिस अंदाज में बीते दौर की मशहूर अदाकारा रेखा से रूबरू हुईं उसने रेखा और अमिताभ के अफेयर की याद दिला दी।
भारत को अत्याधुनिक संसद भवन के लिए एक नई इमारत मिल सकती है जिसका प्रस्ताव लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने दिया है। अध्यक्ष ने कहा है कि वर्तमान 88 साल पुरानी इमारत पर बढ़ती उम्र का असर दिखने लगा है और यह अधिक जगह की बढ़ती मांग को पूरा करने में अब सक्षम नहीं है।
रूस यात्रा के बाद अफगानिस्तान पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रपति अशरफ गनी से मुलाकात की। काबुल में प्रधानमंत्री ने अफगान संसद के नए भवन का उद्घाटन भी किया।
एक रैंक एक पेंशन पर पूर्व सैनिकों का विरोध बढ़ता ही जा रहा है। सरकार के निर्णय का विरोध कर रहे रिटायर्ड फौजियों ने बुधवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर अपने मेडल जलाने का प्रयास करने के बाद राष्ट्रपति भवन मार्च करने की कोशिश की।
बढ़ती असहिष्णुता और गलत नीतियों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। सोनिया ने राष्ट्रपति से सरकार को कड़े कदम उठाने की सलाह देने का आग्रह किया।
गोमांस को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब हिंदू सेना ने दिल्ली के केरल हाउस में बीफ परोसने पर बवाल खड़ा कर दिया है। आरोप हैं कि सोमवार को गोमांस परोसे जाने की शिकायत के बाद दिल्ली पुलिस केरल हाउस जा धमकी और वहां रेस्तरां में घुसकर मेन्यू से बीफ हटवा दिया।
अपनी कर्मभूमि बरेली में आज सुबह अंतिम सांसे ली, हिंदी के हस्ताक्षर कवि वीरेन डंगवाल ने। पिछले कुछ सालों से वह मुंह के कैंसर से बहादुराना लड़ाई लड़ रहे थे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी साम्राज्यवाद और राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी-मार्का हिंदुत्ववादी फासीवाद के मौजूदा वर्चस्व के दौर में वीरेन डंगवाल (1948-2015) की कविता किसी आत्मीय, जीवंत, वामपंथी प्रतिज्ञा की तरह सामने आती है।