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गेमिंग उद्योग में सार्वजनिक सूचीकरण का महत्व, निवेशक निखिल कामथ ने साझा किया अपना विचार

गेमिंग उद्योग में सार्वजनिक सूचीकरण का महत्व, निवेशक निखिल कामथ ने साझा किया अपना विचार

गेमिंग उद्योग में स्ट्रेटेजिक निर्णय जैसे कि सार्वजनिक सूचीकरण का महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है।...
क्यों सेल्फ मेड बिलेनियर निखिल कामथ माने जाते हैं इंडिया 2.0 का चेहरा ? यहां पढ़ें वजह

क्यों सेल्फ मेड बिलेनियर निखिल कामथ माने जाते हैं इंडिया 2.0 का चेहरा ? यहां पढ़ें वजह

भारत के तेजी से बढ़ रहे एंटरप्रेन्योरीयल स्पिरिट के बीच निखिल कामथ एक प्रेरणा की रोशनी बनकर सामने आए...
नीतियों ने किया बंटाधार

नीतियों ने किया बंटाधार

सबसे पहली बात तो यह है कि एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक कारोबारियों की आत्महत्या का आंकड़ा 2019 में एकदम...

"असफलता जैसा कुछ नहीं, या तो आप जीतते हैं या सीखते हैं": आंत्रेप्रेन्योर डॉ. गीतेंद्र सिंह

कोरोना महामारी के दौरान भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति हम सबने अपने आँखों से देखी थी, बीते कुछ...
विवादों में राजस्थान की किताबें, सफल होने के लिए ‘लंबाई’ और ‘गोरापन’ जरूरी

विवादों में राजस्थान की किताबें, सफल होने के लिए ‘लंबाई’ और ‘गोरापन’ जरूरी

राजस्थान के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के पाठ्यक्रम फिर विवादों के घेरे में है।
भारतीय अमेरिकी उद्यमी न्यूजर्सी में गर्वनर पद की दौड़ में शामिल

भारतीय अमेरिकी उद्यमी न्यूजर्सी में गर्वनर पद की दौड़ में शामिल

31 वर्षीय एक भारतीय अमेरिकी उद्यमी न्यूजर्सी में गर्वनर पद की दौड़ में शामिल हैं। यहां इस साल के आखिर में चुनाव होना है। रिपब्लिकन हर्षवर्धन सिंह ने गर्वनर चुने जाने के बाद संपत्ति करों में कटौती और न्यूजर्सी को तकनीकी क्षेत्रों में देश का प्रमुख स्थान बनाने का वादा किया है।
भिखारी से बनें कारोबारी

भिखारी से बनें कारोबारी

लगभग 35 साल पहले 65 वर्षीय सुनील घोषाल बंगाल में अपने गांव हरोका से भागकर वृंदावन आ गए थे। वह बताते हैं कि उनके शरीर में कुष्ठ रोग के हल्के से कुछ दाग उभर आए थे। इस वजह से उनके घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई। किसी मेहमान के आने पर घोषाल को छिपा दिया जाता। एक रोज उनकी बड़ी बहन को लड़के वाले देखने आए तो घोषाल को एक कमरे में बंद कर दिया गया। ऐसी जिंदगी से तंग आकर अगले ही दिन वह बिना किसी को बताए घर से भाग गए। कुछ दिन उत्तर प्रदेश की खाक छानते रहे फिर वृंदावन आकर बस गए।
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