उत्तर प्रदेश सरकार की मंत्री अनुपमा जायसवाल आज बहराइच के एक थाना परिसर में शराब की बोतल देख भड़क उठीं। उन्होंने इसे गंभीर मामला बताते हुए पुलिस अधीक्षक से जांच करने को कहा।
कर्नाटक में आईपीएस अधिकारी ने एक मंत्री का फोन होल्ड पर रखा तो आनन फानन में उसका तुरंत ट्रांसफर कर दिया गया। महिला आईपीएस अधिकारी ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद वह कहां हैंं, इसकी कोई जानकारी नहीं है। डीएसपी अनुपमा शेनॉय के इस्तीफे पर सीएम सिद़धरमैया ने कहा कि वह इस मसले पर कुछ नहीं जानते हैं।
टेलीविजन धारावाहिक नागिन की सफलता से उत्साहित इस धारावाहिक में काम कर रहे अजुर्न बिजलानी चाहते हैं कि इसका दूसरा संस्करण भी बने। अर्जुन इसमें नेवले का रोल कर रहे हैं।
मोहम्मद अजहरूद्दीन भले ही अपने अनुकरणीय क्रिकेट कौशल के लिए जाने जाते हैं लेकिन अभिनेता इमरान हाशमी के लिए आगामी फिल्म अजहर में पूर्व कप्तान के व्यक्तिगत जीवन को दिखाना एक बड़ी चुनौती थी। फिल्म में इमरान अजहरूद्दीन की भूमिका निभा रहे हैं।
भारतीय और विश्व सिनेमा ऐसा समुद्र है जिसमें जितने गोते लगाए जाएं, डूबते ही जाते हैं। हर साल पूरे विश्व में हजारों की संख्या में फिल्में बनती हैं, कुछ हिट होती है कुछ फ्लॉप और कुछ समय पर अंकित हो जाती है। कोई फिल्म फ्लॉप है इसका मतलब यह नहीं कि उसमें कुछ नहीं था। कभी-कभी फिल्में नहीं चलतीं और दर्शकों के दिल पर छाप छोड़ जाती हैं। कुछ खास फिल्मों की सूची आउटलुक के लिए लेखक और आलोचक अनुपमा चोपड़ा, लेखक और फिल्म इतिहासकार जय अर्जुन सिंह, फिल्मकार और आलोचक श्रीनिवास भाष्यम और फिल्म निर्देशक श्रीराम राघवन ने बनाई है। इन फिल्मों को जरूर देखिए। यह फिल्म सूची की पहली किस्त है। कल जानिए दूसरी किस्त में कुछ और खास फिल्में
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कलात्मक बल्लेबाज मोहम्मद अजहरुद्दीन इन दिनों फिर से सुर्खियों में हैं। हैदराबाद के स्टाइलिश बल्लेबाज अजहरूद्दीन इस बार तीसरी शादी करने को लेकर खबरों में छाए हुए हैं।
आलोचना (त्रैमासिक) पत्रिका के अंक 53-54 के प्रकाशन के उपलक्ष्य में ‘भारतीय जनतंत्र का जायजा’ विषय पर साहित्य अकादमी-सभागार में आयोजित परिचर्चा में युवाओं की भागीदारी जबरदस्त रही। दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय सहित अन्य अकादमिक संस्थानों के छात्रों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। युवाओं ने जनतंत्र से जुड़े सवालों की झड़ी लगा दी। एक युवा ने सवाल खड़ा किया कि आखिर क्यों ‘आलोचना’ पहले जैसी नहीं होती ! जिसकी आलोचना होती है वह और मजबूत क्यों हो जाता है।