कल छह दिवसीय साहित्योत्सव के अंतिम दिन ‘अनुवाद पुनर्कथन के रूप में’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन वक्तव्य में प्रख्यात गुजराती लेखक सीतांशु यशश्चंद्र ने कहा कि कृष्ण कथा और राम कथा का हमारे देश में कई भाषाओं में अनूदित हो रोचक पुनर्कथन हुआ है, और यह आधुनिक भाषाओं में भी हो रहा है। यह इतिहास को वर्तमान से जोड़ने का बड़ा प्रयास है। उन्होंने अनुवाद प्रक्रिया में आने वाले बिखराव फैलाव और छाया अनुवाद की चर्चा करते हुए संस्कृत/प्राकृत/पालि/हिंदी/गुजराती आदि के अनुवादों से कई उदाहरण दिए।
दिल्ली में तीन दिन का सार्क साहित्य उत्सव शुरू हो गया है। सभी सार्क देशों की उपस्थिति है सिवाय पाकिस्तान के। यह उत्सव सार्क लेखकों के लिए फाउंडेशन ऑफ सार्क राइटर एंड लिटरेटर (एफओएसडब्लूएएल) और विदेश मंत्रालय के सौजन्य से हो रहा है।
साहित्योत्सव के चौथेदिन ‘आमने-सामने’ कार्यक्रम में साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता हिंदी लेखिका नासिरा शर्मा ने कहा, विभाजन की हिंसा से जहां लोग सीधे प्रभावित हुए, वहीं वतनपरस्त मुसलमानों को मानसिक प्रताड़ना ज्यादा झेलनी पड़ी। वे अशोक तिवारी के सवालों के जवाब दे रही थीं।
साहित्योत्सव 2017 केतीसरे दिन शाम को प्रख्यातविद्वान एवं इतिहासकार डॉ. रामचंद्र गुहा ने कहा कि मार्क्सवाद व्यक्ति को कम महत्त्व देता है। वे अकादेमी की प्रतिष्ठित संवत्सर व्याख्यानमाला के अंतर्गत ‘ऐतिहासिकजीवनी का शिल्प’ विषयक व्याख्यान के दौरान धार्मिक एवं वैचारिक विरासत की चर्चा कर रहे थे।
कल नई दिल्ली में शुरू हुए साहित्य अकादेमी के सप्ताहकालीन साहित्योत्सव 2017 में आज शाम कमानी सभागार में हिंदी सहित देश की 24 भाषाओं से सम्मानार्थ चुने गए 24 लेखकों को साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2016 से सम्मानित किया जा रहा है। उत्सव का आरंभ संस्कृत विद्वान एवं साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य प्रो सत्यव्रत शास्त्री ने अकादेमी की वार्षिक प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए किया। उन्होंने साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार 2016 की घोषणा भी की।
साहित्य अकादेमी, दिल्ली आगामी 21 से 26 फरवरी के बीच भारतीय साहित्य पर आधारित साहित्योत्सव 2017 का आयोजन कर रही है। इस दौरान अन्यान्य कार्यक्रमों के साथ ही खास तौर से हिंदी में वरिष्ठ लेखिका नासिरा शर्मा समेत कुल 24 भारतीय भाषाओं के पूर्व चयनित साहित्यकारों को साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
साहित्य उत्सव या लिट फेस्ट अब स्कूल तक पहुंच गए हैं। अब तक इस तरह के उत्सव किसी शहर में बड़े साहित्यकारों के बीच ही होते थे। यह पहली बार है कि किसी स्कूल ने अपने यहां साहित्योत्सव आयोजित किया है।