फेसबुक, टि्वटर, यू-ट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर चरमपंथी ताकतों की बढ़ती पहुंच से सरकार में खतरे की घंटी बज गई है। ऐसे में सरकार ने इससे निबटने की तैयार भी आरंभ कर दी है।
सोशल मीडिया में कोई भी टिप्पणी करते समय कितना सावधान रहने की जरूरत है यह केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को शायद अब समझ आ गया होगा। तीन दिन पहले अपने एक फॉलोअर को ईरानी ने एक टिप्पणी को लेकर व्याकरण का ज्ञान दिया था और दो दिन बाद उस फॉलोअर ने मंत्रीजी को स्पेलिंग का ज्ञान देकर हिसाब बराबर कर दिया।
आज सोशल मीडिया पर सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम छाए हुए हैं। यानी टॉप ट्रेंड कर रहे हैं। हर ओर से परीक्षा में अव्वल आने वालों को बधाइयां मिल रही हैं। फेसबुक और टि्वटर पर मुबारकों का तांता लगा हुआ है।
अब राजनीतिक चुनाव सिर्फ सभाओं, जुलूसों, नारेबाजियों और पोस्टरों के जरिये नहीं लड़े जाते हैं। इस जंग का एक और ऐसा मैदान है जो दिखाई तो नहीं देता लेकिन वहां महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस होती है। जनमत बनता है। जंग का यह नया मैदान सोशल मीडिया है। इस नए मैदान की लागत कम है और इसका फल इस मायने में मीठा है कि यह जनता को प्रभावित करने की जबरदस्त क्षमता रखता है। आज लगभग तमाम केंद्रीय मंत्री, सरकार, राज्य सरकारें, छोटे-बड़े नेता, विधायक, सांसद, मंत्रालय और राजनीतिक पार्टियों समेत देश की तमाम प्रभावशाली हस्तियां सोशल मीडिया का प्रयोग कर रही हैं।