एक नए अध्ययन से यह बात सामने आई है कि देशभर में वर्ष 2015 में मरने वाले दस व्यक्तियों में से एक से ज्यादा की मौत धूम्रपान के कारण हुई थी, जिनमें से 50 फीसदी से अधिक मौत सिर्फ चार देशों में हुई है। इन चार देशों में भारत भी शामिल है।
ये एक आम धारणा है कि यदि कोई व्यक्ति फेफड़े के कैंसर से पीड़ित है तो निश्चित रूप से वह सिगरेट, बीड़ी, हुक्का या इसी तरह का कोई तंबाकू के धुएं वाला नशा करता होगा। हाल तक यह धारणा कुछ हद तक ठीक भी मानी जाती थी क्योंकि ऐसे लोगों में से 90 फीसदी से अधिक धूम्रपान के आदि पाए जाते थे मगर अब स्थिति ऐसी नहीं है।
धूम्रपान पर भाजपा के एक सांसद बीड़ी कारोबारी के बयान से उपजे विवाद के बीच पार्टी के एक और सांसद राम प्रसाद शर्मा यह दावा करते हुए विवाद में उतर गए कि सिगरेट और कैंसर के बीच संबंधों को स्थापित करने वाला कोई स्पष्ट सबूत नहीं है और उन्हें तो यह भी लग रहा कि कहीं तंबाकू में कोई औषधीय गुण तो नहीं है।