किसी भी सभ्य समाज में बंधुआ मजदूरी एक कलंक है। भारत में लंबे समय से यह बुराई कायम रही है और इस खत्म करने के सरकारों के तमाम दावों के बावजूद कई जगह यह अब भी बदस्तूर जारी है।
आज भी लाखों-करोड़ों लोग गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए हैं, इस बात को स्वीकार करते हुए और लोगों में इसके खिलाफ जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से इंग्लैंड 18 अक्टूबर के दिन को दासता विरोधी दिवस के तौर पर मनाता है। इस साल इसमें मुख्य एजेंडा आधुनिक दासता और मानव तस्करी को खत्म करना था। वाक फ्री की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विश्व के सबसे ज्यादा बधुआ मजदूर हैं और भारत के ईंट भट्टे में बंधुआ मजदूरी करवाई जाती है। भारत को भी अपने तमाम पारंपरिक और आधुनिक गुलामी के तरीकों के विरुद्ध एक दिन समर्पित करना चाहिए।
गुड़गांव में सऊदी अरब के एक राजनयिक पर दो नेपाली महिलाओं से सामूहिक बलात्कार और बंधुआ बनाकर प्रताड़ित करने का मामला दर्ज किया गया है। कथित तौर पर सेक्स बंधक बनाई गई ये महिलाएं मां-बेटी बताई जा रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि विदेशों में उत्तर कोरिया के तकरीबन बीस हजार बंधुआ मजदूर हैं और उनमें से ज्यादातर चीन और रूस में हैं जबकि उत्तर कोरिया ने रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए इसे दुर्भावनापूर्ण करार दिया है।