भारतीय सेना की रोमियो फोर्स, नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास पुंछ जिले के इलाकों में घर-घर जाकर स्थानीय लोगों को दवाइयां और राशन उपलब्ध करा रही है, जो पाकिस्तानी गोलाबारी से काफी प्रभावित हुए हैं।
बल के जवानों ने अपने दौरे के दौरान स्थानीय लोगों से भी बातचीत की, जिन्होंने बताया कि 9 मई को गोलाबारी में उनके घर क्षतिग्रस्त हो गए थे।
भारतीय सेना का इंजीनियर बम निरोधक दस्ता जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के नौशेरा उप-मंडल में आवासीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले बमों को निकालने और निष्क्रिय करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्ष के दौरान पाकिस्तान द्वारा की गई भारी गोलाबारी के बाद मिले जीवित गोलों को भारतीय सेना द्वारा स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए निष्क्रिय किया जा रहा है, ताकि उन्हें और अधिक नुकसान से बचाया जा सके।
सेना लगभग प्रतिदिन नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार सीमावर्ती क्षेत्रों में पाकिस्तान द्वारा दागे गए इन जीवित गोलों को निष्क्रिय करने में लगी हुई है, जिससे नागरिकों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
ऑपरेशन सिंदूर के शुरू होने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता समाप्त करने तथा संघर्ष को बढ़ने से रोकने के लिए सहमति बन गई है, जिसके बाद जम्मू के अखनूर में दैनिक जीवन पटरी पर लौटता दिख रहा है तथा लोग सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं तथा अपने कामकाज पर जा रहे हैं।
इससे पहले, भारतीय सेना ने सीमा के पास स्थित अखनूर सेक्टर के नारायणा गांव में एक निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन करके मानवीय पहल की थी।
शिविर का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना था। शिविर में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों सहित कई स्थानीय लोग आए। सेना की मेडिकल टीम ने स्वास्थ्य जांच की और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त दवाइयां वितरित कीं।
सीमावर्ती क्षेत्रों में ग्रामीणों को भोजन और शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए शिविर भी स्थापित किए गए। स्थानीय लोगों ने उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं पर अपनी राय व्यक्त की।