हिंदू धर्म में चारधाम यात्रा को अत्यंत पवित्र माना गया है। इन्हीं में से एक केदारनाथ धाम है, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है। केदारनाथ धाम के कपाट हर वर्ष एक बार खोले जाते हैं। इस वर्ष 2 मई को कपाट खुलने जा रहे हैं।
इससे पहले, 28 अप्रैल को पंचमुखी चल विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ से विधि-विधान के साथ केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो गई है। यह यात्रा सनातन धर्म की गौरवशाली परंपराओं और गहन आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक है, जिसमें हजारों श्रद्धालु बाबा केदार के जयकारों के साथ सहभागी बने।
केदारनाथ मंदिर, जो चारधाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में गिना जाता है, हर साल नवंबर में शीतकाल के लिए बंद हो जाता है। भारी बर्फबारी के कारण मंदिर तक पहुँचना असंभव हो जाता है, इसलिए बाबा केदार की पंचमुखी मूर्ति को ऊखीमठ लाया जाता है, जहाँ छह महीने तक विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
इस वर्ष 3 नवंबर 2024 को कपाट बंद हुए थे, और अब 2 मई को सुबह 7 बजे वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों के बीच कपाट फिर से खोले जाएंगे।
पंचमुखी डोली की यात्रा कई पड़ावों से होकर गुजरती है। 28 अप्रैल को डोली ऊखीमठ से रवाना होकर गुप्तकाशी पहुँची, और 1 मई को यह केदारनाथ धाम पहुंचेगी। इस दौरान श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर रहता है, और सेना के बैंड की भक्तिमय धुनें वातावरण को और अधिक आध्यात्मिक बना देती हैं।
मंदिर को फूलों से भव्य रूप से सजाया जा रहा है, और उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा के लिए व्यापक तैयारियाँ की हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर इस यात्रा की शुरुआत की जानकारी साझा करते हुए इसे सनातन संस्कृति की अनुपम अभिव्यक्ति बताया। उन्होंने बाबा केदार से सभी के कल्याण की प्रार्थना भी की। चारधाम यात्रा 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ प्रारंभ होगी, जबकि बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खुलेंगे।
केदारनाथ यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है। मान्यता है कि पांडवों द्वारा स्थापित इस मंदिर में भगवान शिव ने बैल रूप में दर्शन दिए थे। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन हेतु हिमालय की इस पवित्र यात्रा पर निकलते हैं।
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