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योग में हिंदुत्व के एजेंडे के राजनीतिक आसन

योग का विस्तार हो रहा है लेकिन इसके पीछे हिंदुत्व के एजेंडे की राजनीति पर उठे सवालिया निशान
केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद वाई नाईक

भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदुत्व के एजेंडे को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंच देने का आसन बना है योग। इसको दिए गए अभूतपूर्व जोर से रणनीति स्पष्ट होती है। अब हर साल 21 जून को न सिर्फ योग दिवस मनाने पर जोर रहता है, बल्कि देश के कोने-कोने तक योग के केंद्रों, संस्थानों को खड़ा करने और उन तक समुचित पैसा पहुंचाने के लिए जबर्दस्त ढंग से काम हो रहा है। इसे लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बेहद संतुष्ट बताया जाता है। योग के बहाने हिंदुत्व के एजेंडे का प्रसार एक विवादित मुद्दा बना ही हुआ है। योग करते समय ऊँ  के उच्चारण को लेकर इस बार भी बहुत बातें हुईं लेकिन केंद्र सरकार ने अपने एजेंडे पर कायम रहते हुए जो रुख अपनाया वह उसके दूरगामी लक्ष्य की ओर स्पष्ट इशारा करता है। ऊँ के बारे में केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद वाई. नाईक ने आउटलुक से कहा, 'बिना ऊँ के उच्चारण के योग अधूरा है। इसका पूरा लाभ तब तक नहीं मिलता जब तक इसका उच्चारण नहीं किया जाए। हालांकि यह अनिवार्य नहीं है लेकिन लोग तो पूरा लाभ ही लेना चाहेंगे न। और वैसे भी इसके विरोध में उठ रहे स्वर कम हो गए हैं और लोगों ने मान लिया है। यानी ऊँ का एजेंडा हो या सूर्यनमस्कार, तमाम एजेंडों पर धीमे-धीमे ही सही केंद्र सरकार अपनी राजनीति करने में सफल हो गई है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने हंसते हुए कहा, 'पांसा फेंक दिया है, सही समय पर खींच लिया जाएगा।

सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिर इन आयोजनों में जिस तरह देश भर में योग के नाम पर बाबाओं, संन्यासियों और आध्यात्मिक गुरुओं की ब्रांडिंग हो रही है, उसमें सरकारी योग संस्थान की बची-खुची जमीन भी खिसकती जा रही है। मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा और सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन योगा एंड नेचुरोपैथी जैसे सरकारी संस्थानों को इन तमाम भव्य-दिव्य आयोजनों में कोई खास तव्वजो नहीं मिलती है। इन संस्थानों के अधिकारियों को भी इस बात का मलाल है कि सरकारी आयोजनों में भी सारा जोर या फोकस रामदेव, रविशंकर, ब्रह्मïकुमारी जैसी संस्थाओं पर रहता है, जिनकी अपनी अच्छी-खासी दुकानदारी है।

आउटलुक  ने अपनी पड़ताल के दौरान पाया कि मोदी सरकार ने आयुष मंत्रालय का गठन जरूर किया, इसका बजट भी 1000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं बढ़ा है, लेकिन इसे धन की कमी नहीं रहती। तमाम मंत्रालयों के सहयोग से इसका योग दिवस का आयोजन किया जाता है। मंत्रालय का काम योग, आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धि आदि तमाम चिकित्सीय पद्धतियों के विकास का है, लेकिन अभी सारा जोर योग के प्रचार-प्रसार पर है। इसकी ठोस वजह है। सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन योग एंड नेचुरोपैथी के निदेशक डॉ. ईश्वर एन. आचार्य ने आउटलुक को बताया कि योग दिवस के लिए देश के 625 जिलों में करीब 400 संगठनों को एक-एक लाख रुपये की राशि दी गई है। दस बड़े शहरों में योग संस्थाओं को 12 लाख रुपये की राशि दी गई है। पुणे में योग सिखाने वाली राजवी एच.मेहता का कहना है कि इस बहाने इतने बड़े फलक पर योग शिक्षा पहुंच गई है। योग के लिए पहली बार इतना पैसा पहुंच रहा है। और, यही वह लक्ष्य है जिसे हासिल करने में आयुष मंत्रालय की उपलब्धि को लेकर संघ तथा उसके समर्थक आह्लïदित है। केरल में संघ के सक्रिय कार्यकर्ता नंद नायर का कहना है कि योग हिंदुत्व का अभिन्न हिस्सा है और यह हिंदुत्व के विस्तार के बारे में बताता है। एक बार इसकी आदत पडऩी जरूरी है, फिर तमाम दिञ्चकतें दूर हो जाएंगी। पिछले दो सालों में देश भर में योग टीचरों की इतनी बड़ी पैमाने पर भर्ती हुई, अपने लोगों को रोजगार मिला, और क्या चाहिए। रामदेव से लेकर रविशंकर के समर्थकों में योग को लेकर जो क्रेज दिखाई दे रहा है, उसकी आर्थिक वजहें साफ हैं। अब सरकार ने योग अध्यापन को नियमित करने के लिए ञ्चवालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया को मजबूत किया है, जो योग गुरु, योग आचार्य, योग

इंस्ट्रञ्चटर और योग टीचर के लिए परीक्षा लेता है। बकौल आयुष मंत्री हजारों की तादाद में योग अध्यापकों की नियुक्ति हो चुकी है और लाखों की संभावनाएं हैं। योग के अलावा आयुर्वेद सहित बाकी विधाओं की दवाइयों का टोटा बना हुआ है। इस पर  सरकार को जोर नहीं, शायद यहां भर्ती की इतनी गुंजाइश न हो ! 

बाक्‍स

ऊँ के बिना योग अधूरा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उठे और भाजपा में लंबी-सफल राजनीति पारी खेल रहे श्रीपद वाई. नाईक इस समय केंद्र सरकार में आयुष मंत्रालय संभाल रहे हैं। इस मंत्रालय के तहत आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद़ध , होम्योपैथी और वैकल्पिक प्रणालियां आती हैं। पिछले दो सालों से उनका मंत्रालय योग दिवस के इर्द-गिर्द चर्चा में बना हुआ है। वह अपने बारे में बताते हैं कि किस तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में उन्हें योग की अनिवार्य शिक्षा मिली और तब से वह इसे नियमित रूप से कर रहे हैं और वह बीमारियों से दूर हैं। आउटलुक की द्ब्रयूरो प्रमुख भाषा सिंह ने उनसे बात की, पेश हैं अंश:

मंत्रालय का योग पर ही खास जोर है, वजह?

योग सबको जोड़ता है। आदमी से आदमी को जोडऩे का काम योग करता है। इसीलिए हमारी सरकार ने इसे एक जन अभियान के तौर पर देश भर में फैलाने का काम किया है। अब देखिए हर जगह लोग इसे अपना रहे हैं। चंडीगढ़ में (21 जून,योग दिवस) योग करने के इच्छुक लोगों की रजिस्ट्रेशन संख्या 94 हजार पहुंच गई है, जबकि वहां क्षमता 30 हजार की है।

सरकारी आयोजन में रामदेव, रविशंकर आदि तमाम गुरुओं को इतनी तवज्जो क्यों दी जा रही है? सरकारी संस्थानों को आगे रखना चाहिए था ।

देखिए, बाबा रामदेव योग के एंबेस्डर हैं। उन्होंने गांव-गांव तक योग की अलख जगाई है। वह हमारी मदद कर रहे हैं और उनके लोग बड़ी संख्या में अपने आप योग दिवस में शिरकत भी कर रहे हैं। इसी तरह श्रीश्री रविशंकर, ब्रह्म कुमारी को भी जगह देनी जरूरी है ताकि बड़ी संख्या में लोग जुड़ें।

आप कब से योग कर रहे हैं?

मैं 30-32 साल से ही योग की शरण में हूं। संघ (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की शाखा से ही यह रुचि विकसित हुई। एक्सरसाइज योग वहां शाखा में सिखाया जाता है। संघ में निरोग रहने का जो एक मंत्र दिया जाता है और वह है योग। इसके बाद बाबा रामदेव और श्रीश्री रविशंकर के यहां और सीखा। उनकी क्लासेज लीं।

संघ की योग को लेकर क्या अवधारणा है?

निरोग रहने के लिए संघ योग के महत्व को प्रसारित करता है। अब देश क्या दुनिया भर में देखिए कितना योग के महत्व को लोग मान रहे हैं।

योग में ऊँकहने को लेकर विवाद चल रहा है, क्या कहना है आपका

देखिए, योग बिना ऊँ के पूरा नहीं हो सकता। यह उसका अभिन्न हिस्सा है। जो श्लोक हैं, वहीं से तो ऊर्जा प्राप्त होती है। इसे लेकर जो विरोध हो रहा था, वह अब शांत हो गया है। यहां किसी पर कोई चीज थोपने की बात नहीं है। ऊँ, वैसे भी एक यूनिवर्सल ध्वनि है। तकरीबन हर धर्म में इससे मिलती-जुलती ध्वनियां हैं। इसलिए हरेक को कहना है।

लेकिन बाकी धर्म वाले तो इसे नहीं कहते?

यह श्लोक है और यह इसका हिस्सा है। अगर ऊँ नहीं कहना तो नहीं कहो, लेकिन जो सच है वह सच है। ऊँ के बिना योग किया तो फायदा पूरा नहीं होगा। 

योग अध्यापकों की कमी है..?

कोई कमी नहीं है। योग बाबा रामदेव के यहां से कितने टीचर आए हुए हैं। रामदेव के हजारों टीचर काम कर रहे हैं। इस साल से हमने क्वालिटी काउसिंल ऑफ इंडिया शुरू किया है। तमाम योग टीचरों को एक स्टैंडर्ड किया। अब हजारों टीचर हो गए हैं।

योग दिवस के अलावा क्या?

अब हमने 625 जिलों में एक योग वेलनेस सेंटर खोले हैं जिन्हें सालाना 12 लाख रुपये दिए जा रहे हैं, योग सब-सेंटर भी खोले गए हैं, जिन्हें 6 लाख रुपये सालाना। देश के तमाम जिलों में कलेक्टर के जरिये योग प्रचार के योग दिवस पर एक-एक लाख रुपये दिया गया है। विदेशों में भी इसे फैलाने की योजना चालू है।

आयुष दवाइयों की कमी भीषण है?

अभी थोड़ी दिक्कत है, लेकिन ठीक हो रहा है।

आयुर्वेद में शोध धीमा क्यों है?

काम चल रहा है। हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों साल रिसर्च करके ही इन औषधियों को निकाला है। अब हमें विदेश भेजने के लिए प्रमाणित करने के लिए शोध कराना जरूरी है। कई चोर हैं जो इन दवाइयों में गड़बड़ी कर रहे हैं जिन्हें हम पकड़ेंगे।

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