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अफगानिस्तान: कंधार के बाद लश्कर गाह शहर पर भी तालिबान ने किया कब्जा, तीन भारतीय बचाए गए

अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो बलों की वापसी के बीच तालिबान ने अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े...
अफगानिस्तान: कंधार के बाद लश्कर गाह शहर पर भी तालिबान ने किया कब्जा, तीन भारतीय बचाए गए

अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो बलों की वापसी के बीच तालिबान ने अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार और लश्करगाह पर कब्जे का दावा किया है। तालिबान के कंधार पर कब्जा कर लेने के बाद अब अगानिस्तान सरकार की परेशानियां और बढ़ गई हैं। इसके बाद अफगानिस्तान सरकार के हाथ में सिर्फ राजधानी काबुल और देश के कुछ और हिस्से रह गए हैं।

तालिबान के एक प्रवक्ता ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, कंधार पर पूरी तरह से कब्जा हो चुका है। मुजाहिदीन शहर में 'मार्टियर्स स्कवॉयर' पर पहुंच गए हैं। न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक एक स्थानीय नागरिक ने भी इसकी पुष्टि की है। नागरिक ने बताया कि अफगान सेना बड़ी संख्या में पीछे हट गई है और शहर के बाहर चली गई है।

अफगान सुरक्षा बलों के एक वरिष्ठ सूत्र ने विद्रोहियों के दावे की पुष्टि करते हुए शुक्रवार को एएफपी को बताया कि तालिबान ने प्रमुख शहर लश्कर गाह पर भी कब्जा जमा लिया है।

वहीं इससे पहले गुरुवार को तालिबान ने दो और प्रांतीय राजधानी गजनी और हेरात पर कब्जा कर लिया था। इसके साथ ही पिछले एक सप्ताह में तालिबान ने 12 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है। अफगानिस्तान में 34 प्रांतीय राजधानी हैं।

बता दें कई दिनों से जारी लड़ाई पर अफगान सुरक्षा बल और सरकार कोई टिप्पणी करने को तैयार नहीं हैं। लगातार बढ़त बना रहे तालिबान से काबुल को सीधे कोई खतरा नहीं है मगर उसकी तेज बढ़त सवाल खड़े करती है कि अफगान सरकार अपने पास बचे क्षेत्रों को आखिर कब तक नियंत्रण में रख पाएगी।

संभवत: सरकार राजधानी और कुछ अन्य शहरों को बचाने के लिए अपने कदम वापस लेने पर मजबूर हो जाए क्योंकि लड़ाई की वजह से विस्थापित हजारों लोग काबुल भाग आए हैं और खुले स्थानों और उद्यानों में रह रहे हैं।

गजनी प्रांत के परिषद सदस्य अमानुल्ला कामरानी ने एपी को बताया कि शहर के बाहर बने दो बेस अब भी सरकारी बलों के नियंत्रण में हैं।

अफगानिस्तान के सबसे बड़े शहरों में से एक लश्कर गाह मेंको लेकर हेलमंड से सांसद नसीमा नियाजी ने बताया कि बुधवार को आत्मघाती कार बम हमले में राजधानी के क्षेत्रीय पुलिस मुख्यालय को निशाना बनाया गया था। गुरुवार को तालिबान ने मुख्यालय पर कब्जा कर लिया और कुछ पुलिस अधिकारियों ने उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया तो कुछ ने पास के गवर्नर्स कार्यालय में शरण ली जो अब भी सरकारी बलों के कब्जे में है।

नियाजी ने बताया कि प्रांतीय कारागार पर भी आत्मघाती कार बम हमला हुआ हालांकि इस पर अब भी सरकारी बलों का कब्जा है। मगर तालिबान बीते एक सप्ताह में अपने सैकड़ों आतंकवादियों को छुड़वा चुका है तथा हथियारों और वाहनों पर कब्जा कर चुका है।

नियाजी ने क्षेत्रों में हवाई हमलों की निंदा की और आशंका जताई कि इसमें आम नागरिक मारे जा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘तालिबान के लड़ाके खुद को सुरक्षित करने के लिए आम लोगों के घरों का उपयोग करते हैं और सरकार नागरिकों की परवाह किए बगैर हवाई हमले कर रही है।’’

माना जा रहा है कि अमेरिकी वायु सेना हवाई हमलों में अफगान बलों की सहायता कर रही है। अमेरिकी बम हमलों में कितने लोग मारे गए हैं इसकी अभी जानकारी नहीं मिल पाई है।

तीन भारतीय बचाए गए

वहीं अफगानिस्तान से तीन भारतीय इंजीनियरों को रेस्क्यू किया गया है। ये तीनों उस प्रोजेक्ट साइट पर काम कर रहे थे, जो अफगानिस्तान के सरकारी बलों के नियंत्रण से बाहर हो गया था। ये जानकारी काबुल में भारतीय दूतावास ने दी। बता दें कि अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा को देखते हुए सुरक्षा से जुड़ी नई एडवाइजरी जारी की गई है और उसके सख्ती से पालन के निर्देश भी दिए गए हैं। ये तीनों इंजीनियर उस इलाके में काम कर रहे थे जो तालिबान के कब्जे में था।

 

 

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