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उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम से दुनिया में हड़कंप, यूएन की आपात बैठक

उत्तर कोरिया ने बुधवार को विश्व के शक्तिशाली देशों की चिंता बढ़ाते हुए अपने पहले हाइड्रोजन बम का सफलतापूर्वक परीक्षण करने का दावा किया है। उत्तर कोरिया के इस दावे के बाद अमेरिका और जापान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। माना जा रहा है कि अगर उत्तर कोरिया का दावा सही है तो यह उसके परमाणु विकास की दिशा में एक चौंकाने वाला कदम होगा। उत्तर कोरिया के इस कदम से चिंतित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपात बैठक बुलाई।
उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम से दुनिया में हड़कंप, यूएन की आपात बैठक

यहां के एक सरकारी टेलीविजन चैनल ने कहा, गणराज्य के पहले हाइड्रोजन बम का परीक्षण सुबह 10 बजे (अंतरराष्टीय समयानुसार तीन बजकर 30 मिनट पर) सफलतापूर्वक किया गया। चैनल ने कहा, अपने ऐतिहासिक हाइड्रोजन बम की सटीक सफलता से हम विकसित परमाणु देशों की श्रेणी में शामिल हो गए हैं। परीक्षण की घोषणा किए जाने से पहले अंतरराष्ट्रीय भूकंप विज्ञान पर्यवेक्षकों ने उत्तर कोरिया के पूर्वोत्तर में देश के प्रमुख परमाणु कार्यक्रम स्थल के निकट 5.1 भूकंप दर्ज किए जाने की सूचना दी थी। बताया जा रहा है कि उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने इस परीक्षण का आदेश स्वयं दिया था और यह उनके जन्मदिन से मात्र दो दिन पहले किया गया। किम ने पिछले महीने ही संकेत दिया था कि प्योंगयांग एक हाइड्रोजन बम विकसित कर चुका है। लेकिन उनके इस दावे पर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने प्रश्न उठाए थे। हालांकि परीक्षण के संबंध में बुधवार को की गई घोषणा को भी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। भले ही यह हाइड्रोजन बम का परीक्षण न हो लेकिन यह उत्तर कोरिया का चौथा परमाणु परीक्षण था। उत्तर कोरिया ने इससे पहले साल 2006,  2009 और 2013 में परीक्षण किए थे जिसके बाद उस पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंध लगाए गए थे। माना जा रहा है कि चौथा परीक्षण रोक पाने में नाकाम रहने के बाद सुरक्षा परिषद पर इस बात का दबाव बढ जाएगा कि वह इस बार और कड़े कदम उठाए। ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया के पास अभी इतना प्लूटोनियम है जिससे छह बम बनाए जा सकते हैं।

 

सुरक्षा परिषद ने बुलाई आपात बैठक

उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण करने का दावा किए जाने के बाद आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद न्यू याॅर्क में एक आपात बैठक का आयोजन करेगी। इस आपात बैठक की जानकारी राजनयिकों ने दी है।सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों के बीच बंद कमरे में होने वाली बैठक संयुक्त राष्ट्र और जापान ने बुलाई है। जापान एक अस्थायी सदस्य के रूप में एक जनवरी को परिषद में शामिल हुआ है। अमेरिकी मिशन की प्रवक्ता हेगर चेमाली ने कहा, इस समय हम परीक्षण की पुष्टि नहीं कर सकते। हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के किसी भी उल्लंघन की आलोचना करते हैं और एकबार फिर उत्तर कोरिया से अपील करते हैं कि वह अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और दायित्वों का पालन करे। उन्होंने कहा, यदि यह परीक्षण हाइडोजन बम का ही था तो यह उत्तर कोरिया की क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि को रेखांकित करता है। अलग-थलग पड़े उत्तर कोरिया को संयुक्त राष्ट्र के कई प्रस्तावों के जरिये किसी भी परमाणु गतिविधि या बैलेस्टिक मिसाइल तकनीक से प्रतिबंधित कर दिया गया है। परिषद में, प्योंगयांग का सहयोगी बीजिंग नियमित रूप से उत्तर कोरिया को आलोचना और प्रतिबंधों से बचाने की कोशिश करता रहा है जबकि अमेरिका बार-बार कम्युनिस्ट शासन और उसके द्वारा किए जाने वाले मानवाधिकार उल्लंघनों की निंदा करता रहा है। 

 

अमेरिका, जापान के तेवर कड़े 

उत्तर कोरिया के दावे पर अमेरिका समेत जापान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। अमेरिका ने संकल्प लिया कि वह उत्तर कोरिया के उकसावे का माकूल जवाब देगा। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने एक बयान में कहा, हम क्षेत्र में कोरियाई गणराज्य समेत अपने सहयोगियों की रक्षा करना जारी रखेंगे और उत्तर कोरिया के सभी उकसावों का उचित जवाब देंगे। किर्बी ने कहा, हालांकि हम इन दावों की फिलहाल पुष्टि नहीं कर सकते, लेकिन हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के किसी भी प्रकार के उल्लंघन की निंदा करते हैं। इस बीच जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कहा, मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं। उत्तर कोरिया का परमाणु परीक्षण हमारे देश के लिए एक गंभीर खतरा है और हम इसे कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते। आबे ने कहा, यह स्पष्ट रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों का उल्लंघन है और यह परमाणु अप्रसार प्रयासों के लिए एक बड़ी चुनौती है। हमारा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक अस्थायी सदस्य के तौर पर अमेरिका, दक्षिण कोरिया, चीन और रूस के साथ समन्वित प्रयासों के जरिए कठोर कदम उठाएगा। उन्होंने कहा, हम एक बार फिर उत्तर कोरिया से अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और दायित्वों का पालन करने की अपील करते हैं। वहीं उत्तर कोरिया के पड़ोसी देश और चीर प्रतिद्वंदी दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की आपात बैठक के बाद राष्ट्रपति पार्क ग्युन-हे ने परीक्षण को गंभीर उकसावा बताया। प्योंगयांग पर कड़े प्रतिबंधों की मांग करते हुए उन्होंने कहा यह परीक्षण न सिर्फ हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर उकसावा है बल्कि हमारे भविष्य के लिए बड़ा खतरा होने के साथ ही यह अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। उधर आस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री जूली बिशप ने कहा कि उनका देश परीक्षण की कड़े शब्दों में निंदा करता है। उन्होंने कहा, यह कदम बताता है कि उत्तर कोरिया एक उकसाने वाला देश है और वह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। उन्होंने साथ ही कहा कि कैनबरा सीधे तौर पर प्योंगयांग को अपनी चिंताओं से अवगत कराएगा। उन्होंने भी उत्तर कोरिया पर कड़े प्रतिबंधों की मांग की।

 

उत्तर कोरिया के दावे पर विशेषज्ञों ने जताया संदेह

रेंड कॉरपोरेशन में एक वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ बू्रस बेनेट ने बीबीसी से कहा, यह हथियार संभवत: अमेरिका के हिरोशिमा बम के आकार का था लेकिन यह एक नहीं था। यह विखंडन तकनीक पर आधारित था। बेनेट ने कहा,  हाइड्रोजन बम से जो विस्फोट होता वह इस विस्फोट से 10 गुणा अधिक जोरदार होता। कार्नेगी एंडोमेंट फोर इंटरनेशनल पीस में परमाणु नीति कार्यक्रम के सह निदेशक जेम्स एक्शन ने ट्वीट किया कि इससे जो अनुमानित उर्जा निकली, उसे देखते हुए इस बात की संभावना नहीं लगती कि यह वास्तव में दूसरे चरण का थर्मोन्यूक्लियर बम था।

 

चीन के रुख पर होगी नजर

इस परीक्षण के संबंध में उत्तर कोरिया के आर्थिक और राजनयिक संरक्षक चीन की प्रतिक्रिया अहम होगी। आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा है कि परीक्षण जाहिर तौर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रस्तावों के विपरीत है और इसके परिणाम भुगतने होंगे। बीजिंग ने अमेरिका के नेतृत्व में देशों को पहले भी प्योंगयांग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से रोका है लेकिन परीक्षण रोकने से उसके इनकार करने के बाद चीन अपनी हताशा भी जाहिर कर चुका है। चीन, उत्तर कोरिया में निरस्त्रीकरण के लिए छह पक्षीय सहायता वार्ता को फिर से शुरू करने पर जोर देता रहा है। चीन का कहना है कि प्योंगयांग के साथ वार्ता ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, अमेरिका, चीन, जापान और रूस की संलिप्तता वाली इस छह पक्षीय वार्ता प्रक्रिया पर वर्ष 2007 से अनिश्चितता की स्थिति बनी हुर्ह है। उत्तर कोरिया के चौथा परमाणु परीक्षण करने के निर्णय पर प्योंगयांग के आगे बढने के बाद इस वार्ता प्रक्रिया के आगे बढ़ने की संभावनाएं अब लगभग समाप्त हो गई हैं।

 

 

 

 

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