विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, विदेश मंत्री ने मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति में सूचीबद्ध करने का मुद्दा उठाया और इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद का साझा शिकार होने के तौर पर चीन और भारत को इस चुनौती का मुकाबला करने में सहयोग करना चाहिए। इस पर सहमति बनी थी कि दोनों पक्ष इस मामले पर एक दूसरे से संपर्क में रहेंगे।
इस माह की शुरुआत में चीन ने संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति को अजहर को आतंकी घोषित करने से यह कहते हुए रोक दिया था कि यह मामला सुरक्षा परिषद की अनिवार्यताओं को पूरा नहीं करता। यह पहली बार नहीं है, जब चीन ने पाकिस्तान आधारित आतंकी समूहों और नेताओं को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित करवाने के भारत के प्रयास को अवरूद्ध किया है।
संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2001 में जैश-ए-मुहम्मद को प्रतिबंधित कर दिया था लेकिन वर्ष 2008 के मुंबई हमलों के बाद अजहर पर प्रतिबंध लगवाने के भारत के प्रयास फलीभूत नहीं हो सके क्योंकि चीन ने स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान के कहने पर ऐसा होने नहीं दिया था। चीन के पास वीटो अधिकार है। पिछले साल जुलाई में, चीन ने भारत के उस कदम को भी अवरूद्ध कर दिया था, जिसके तहत उसने मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी की रिहाई के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र को कार्रवाई करने के लिए कहा था। तब चीन ने कहा था कि उसका यह रुख तथ्यों पर आधारित था और वास्तविकता एवं निष्पक्षता के अनुरूप था। इसके साथ ही बीजिंग ने एक बार फिर यह दावा किया था कि वह नई दिल्ली के संपर्क में है।