उनकी मुंदी आंखों के नीचे अंधेरे की गाढ़ी परत बिछी हुई थी। सरकारी अस्पताल के उस आईसीयू में गुजरे जमाने के मशहूर गवैए उस्ताद इकराम मुहम्मद खान को उनकी जिंदगी आखरी सलामी देने की तैयारी कर रही थी।
जयपुर धीरे-धीरे देश की साहित्यिक राजधानी बन गया है। देश का सबसे बड़ा साहित्योत्सव यहां 21 से 25 जनवरी के बीच आयोजित किया गया जिसमें भारत ही नहीं पूरी दुनिया के चर्चित साहित्यकार शामिल हुए।
राबिन शॉ पुष्प के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सुबह लौटते हुए पीछे छूटते गांवों से निकलकर उनकी कहानी में प्रवेश लेना था। यह कहानी आभा ब्राउन की नहीं है, ओनील और आभा ब्राउन और उनके माता-पिता मेरे साथ हो लिए थे।