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कुमार पंकज

उज्जवला योजना सामाजिक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम- धर्मेंद्र प्रधान

उज्जवला योजना सामाजिक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम- धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र प्रधान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी उज्जवला योजना को साकार करने में जुटे हुए हैं। छात्र राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने वाले प्रधान की भारतीय जनता पार्टी के संगठन में मजबूत पकड़ है। इसलिए उन्हें मंत्रालय के साथ-साथ उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महत्वपूर्ण जिम्मे‍वारी भी मिली है। आज देश में उज्जवला योजना से लेकर गैस पाइप लाइन और एलपीजी सब्सिडी को लेकर चर्चाएं तेज हैं। इन्हीं सब मुद्दों पर धर्मेन्द्र प्रधान से आउटलुक ने विस्तार से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश-
मैं मुख्यमंत्री पद की रेस में नहीं हूं - सत्यपाल सिंह

मैं मुख्यमंत्री पद की रेस में नहीं हूं - सत्यपाल सिंह

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी कौन सा चेहरा आगे करके चुनाव लड़ेगी इसको लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। कई नामों पर चर्चा है और कहा जा रहा है कि कोई भी नाम चौकाने वाला हो सकता है।
सरकारी कंपनियों में नियुक्तियों का घालमेल

सरकारी कंपनियों में नियुक्तियों का घालमेल

देश की एक नहीं दो नहीं लगभग सभी नवरत्न कंपनियों के साथ-साथ सार्वजनिक उपक्रम की कंपनियों में नियुक्तियों को लेकर ऐसा घालमेल है कि आप भौंचक्क रह जाएंगे। आउटलुक ने अपनी पड़ताल में पाया कि किसी भी कंपनी के डायरेक्टर पर्सनल/एचआर के पद को लेकर जो विज्ञापन दिया जाता है उसमें योग्यता के नाम पर केवल स्नातक उतीर्ण होना जरूरी है। जबकि आम तौर पर एचआर मैनेजर की पोस्ट के लिए एमबीए की डिग्री की उम्मी‍द की जाती है। जबकि डायरेक्टर पर्सनल/एचआर के पद के लिए स्नातक के साथ यह जोड़ा जाता है कि अगर व्यक्ति ने स्नातकोत्तर या इसके साथ कुछ अतिरिक्त‍ अनुभव हो तो प्राथमिकता दी जाएगी।
बुरहान वानी की मौत से बिगड़ गए कश्मीर के हालात

बुरहान वानी की मौत से बिगड़ गए कश्मीर के हालात

हिजबुल के आतंकी बुरहान वानी और उसके दो साथियों के एनकाउंटर के बाद हिंसा की चपेट में पूरा कश्मीर घाटी आ गया। कई दिनों तक चली हिंसक वारदातों में 32 से अधिक मौते हुई वहीं पांच सौ से ज्यादा लोग घायल हुए इनमें पुलिस वाले भी शामिल हैं।
पूर्वांचल बनेगा सियासी मुद्दा

पूर्वांचल बनेगा सियासी मुद्दा

छोटे राज्यों के गठन को लेकर सियासी पार्टियों का अपना अलग-अलग नजरिया हो सकता है लेकिन देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के गठन को लेकर मांग तेज हो गई है। साल 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अलग पूर्वांचल राज्य के गठन की मांग तेज होने लगी थी और पूर्वांचल के विकास को सियासी मुद्दा बनाया गया था।
मोदी को आने नहीं दूंगा- शरद यादव

मोदी को आने नहीं दूंगा- शरद यादव

जनता दल यूनाइटेड उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है। जदयू का प्रदेश में भले ही जनाधार कम हो लेकिन प्रदेश में पार्टी की सक्रियता बढ़ गई है। जदयू किसके साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी यह तो अभी तय नहीं है लेकिन चुनावी सरगर्मी बढ़ी हुई है। जदयू के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शरद यादव से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर विस्तार से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश-
उत्तर प्रदेश में किसी को नहीं मिलेगा पूर्ण बहुमत- शरद यादव

उत्तर प्रदेश में किसी को नहीं मिलेगा पूर्ण बहुमत- शरद यादव

जनता दल यूनाइटेड के पूर्व अध्यक्ष और सांसद शरद यादव का कहना है कि उत्तर प्रदेश में जो वर्तमान राजनीतिक समीकरण है उसमें किसी भी दल को पूर्ण बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। आउटलुक से खास बातचीत में यादव ने कहा कि जनता दल यूनाइटेड का चुनाव लड़ना तय है लेकिन किसके साथ गठबंधन होगा अभी यह नहीं है।
स्मृति के मंत्री बनने से पहले कपड़ा मंत्रालय को मिले छह हजार करोड़

स्मृति के मंत्री बनने से पहले कपड़ा मंत्रालय को मिले छह हजार करोड़

स्मृति ईरानी को कपड़ा मंत्रालय मिलने से भले ही यह कहा जा रहा है कि उनका डिमोशन किया गया है। लेकिन जानकारों का कहना है कि हाल ही कपड़ा मंत्रालय को विशेष पैकेज के तहत छह हजार करोड़ रूपये दिया गया जो प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना कौशल विकास को आगे ले जाने में सहायक होगी। स्‍मृति को मंत्रालय दिए जाने के पीछे कहा जा रहा है कि इसकी पृष्ठभूमि पहले से ही तैयार कर ली गई थी।
एक सवाल पूछा और मंत्री बन गए

एक सवाल पूछा और मंत्री बन गए

मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में एक ऐसे भी मंत्री हैं जिन्होने सोलहवी लोकसभा के दो साल बीत जाने के बाद भी संसद में केवल एक सवाल पूछा और मंत्री बना दिए गए। यह हैं कर्नाटक की बीजापुर सुरक्षित सीट से सांसद रमेश सी जिगाजिनागी।
परिवार की लड़ाई में अब कौन सा दांव चलेगे नेताजी

परिवार की लड़ाई में अब कौन सा दांव चलेगे नेताजी

साल 2012 के विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने जब अपनी विरासत सौंपने का मन बनाया तो सबसे पहले उनके भाई शिवपाल सिंह यादव का नाम सामने आया। शिवपाल का नाम आते ही उनके समर्थकों के बीच एक खुशी की लहर दौड़ पड़ी कि लेकिन इस पूरे प्रकरण में सपा में थिंक टैंक कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने अलग भूमिका निभाई। रामगोपाल ने अखिलेश यादव को मुख्य‍मंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव दे दिया।