‘कैसी होगी भारत में हो रहे बदलाव की नई इबारत?’ धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवियों की यह चिंता नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब के एक कार्यक्रम में उभर कर आई।
उत्तर प्रदेश चुनावों में चौंकाने वाले परिणाम लाने वाली और मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा में भी अब तक इसी तरह का संदेश देने वाली भारतीय जनता पार्टी ने शपथ ग्रहण स्थल को ले कर भी कुछ इसी तरह का निर्णय लिया है। रविवार, 19 मार्च को प्रस्तावित सूबे की नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह परंपरा से हट कर लखनऊ के स्मृतिउपवन में होने जा रहा है। अटकल तो यह भी लगाई जा रही कि तारीख 19 रखना भी कहीं न कहीं 2019 की फतेह का संकेत है।
साहित्य अकादेमी स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में प्रस्तुत ‘प्राचीन भारतीय साहित्य में प्रेम और प्रार्थना’ विषयक व्याख्यान में कवि-भाषाविद् एवं अकादेमी के महत्तर सदस्य सीताकांत महापात्र ने पूर्वोत्तर भारत के छः आदिवासी भाषा समूह - संथाल, उराव, मुंडा, कोंड आदि के आधार पर कहा कि प्रतीकों से सजी सबसे बेहतर भाषा इनके गीतों में देखी जा सकती है। कहा कि भोजपुरी के बाद सबसे प्रचलित भाषा मैथिली का मूल मुंडा भाषा में निहित है।
स्त्रीकाल और राष्ट्रीय दलित महिला आंदोलन के दिल्ली में आयोजित त्रिसत्रीय संयुक्त सेमिनार में मौजूदा चुनौतियों से निपटने की जरूरत संबंधी, प्रोफ़ेसर चौथीराम यादव के प्रस्ताव कि ‘राष्ट्रवाद के नाम पर जिस तरह की आक्रामकता देखी जा रही है, वह एक राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है’ से मौजूद विचारकों ने सहमति जताई और स्वीकारा कि राजनीतिक विपक्ष की कमजोरी से देश के विश्वविद्यालय वास्तविक प्रतिपक्ष के रूप में खड़े हो रहे हैं, खास कर वहां के छात्र।
साहित्योत्सव के चौथेदिन ‘आमने-सामने’ कार्यक्रम में साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता हिंदी लेखिका नासिरा शर्मा ने कहा, विभाजन की हिंसा से जहां लोग सीधे प्रभावित हुए, वहीं वतनपरस्त मुसलमानों को मानसिक प्रताड़ना ज्यादा झेलनी पड़ी। वे अशोक तिवारी के सवालों के जवाब दे रही थीं।
साहित्यिक संस्था ‘हुत’ की छत्तीसवें एकल काव्यपाठ में 73 वर्षीय कवि बजरंग बिश्नोई ने अपनी धर्मयुग में 1964 में प्रकाशित पहली कविता से लेकर आज तक रची/छपी कविताओं में से एक दर्जन का पाठ किया। कविताओं पर चर्चा में उनकी खामियों-खूबियों पर बहस के साथ ही कथ्य की सराहना हुई, खास कर खुदाबख्स उर्फ खुटईं , गोपी, आदतन, पत्नी के फूल चुनते हुए , अपने खिलाफ और एक विभावना है शहर शीर्षक कविताओं की।
साहित्य अकादेमी, दिल्ली आगामी 21 से 26 फरवरी के बीच भारतीय साहित्य पर आधारित साहित्योत्सव 2017 का आयोजन कर रही है। इस दौरान अन्यान्य कार्यक्रमों के साथ ही खास तौर से हिंदी में वरिष्ठ लेखिका नासिरा शर्मा समेत कुल 24 भारतीय भाषाओं के पूर्व चयनित साहित्यकारों को साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के 19वें भारत रंग महोत्सव के फेस टु फेस कार्यक्रम में अब भी नाटक को पहला प्रेम मानने वाले बालीवुड अभिनेता मनोज वाजपेई ने स्वीकार किया कि नटवा नाटक के शीर्षक किरदार को कई बार करने की वजह से मेरे निजी जीवन में भी हाव-भाव महिलाओं की तरह हो गए थे। उन्होंने कहा कि इस चरित्र से बाहर आने में उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ी। वह इतना हाबी था कि उससे बाहर आने के लिए न केवल कसरत करना पड़ी, जैसा कि मैने कहीं पढ़ा कि कमल हासन को भी ऐसा करना पड़ा था। बातचीत में उन्होंने बताया कि शूल फिल्म ईमानदार पुलिस इंस्पेक्टर के करेक्टर से बाहर आने में तो उन्हें मनोवैज्ञानिक का सहारा लेना पड़ा था।
'तुलसीदास रामचरित मानस में सामाजिक संबंधों में श्रेष्ठता की परिकल्पना के साथ राज्य के रूप में रामराज्य, परिवार के लिए आदर्श पुत्र, भाई, पति आदि सभी के रूप में एक उच्चतम आदर्श की कल्पंना करते हैं।' साहित्य अकादेमी के तुलसीदास : एक पुन:पाठ राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के अंतिम सत्र की अध्यक्षता करते हुए संगीत नाटक अकादेमी के अध्यक्ष, शेखर सेन ने तुलसीदास को संसार का सर्वश्रेष्ठ कवि बताया। कहा कि वे अपने अराजक समय में समाज के लिए समन्वय के आदर्श सूत्र गढ़ते हैं।
कुछ ही महीनों के अंतर पर एक और बेटी की सफलता से जिले में एक बार फिर उत्साह और खुशियों की लहर दौड़ गई और लोग उसके स्वागत और दुआएं देने के लिए उमड़ पड़े। वायस ऑफ इंडिया किड्स की विजेता निष्ठा शर्मा की खुशियों की महक अभी वातावरण मौजूद ही थी कि इसी बीच जिले की एक दूसरी बेटी शताक्षी के मिस इंडिया, 2017 की फाइनलिस्ट चुने जाने के बाद शहर आने पर न केवल उसका जोरदार स्वागत हुआ, बल्कि उसे और परिवार को बधाई देने के लिए लोगों का तांता लग गया।