राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कथित रेलवे जमीन के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में राजद प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है, आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मुर्मू ने सीआरपीसी की धारा 197(1) (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218) के तहत अनिवार्य अनुमति दी है।
मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने की है और संघीय जांच एजेंसी ने पिछले साल अगस्त में 76 वर्षीय बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, उनके बेटे और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
इससे पहले जनवरी 2024 में ईडी ने प्रसाद परिवार के एक कथित सहयोगी अमित कत्याल और प्रसाद के अन्य परिवार के सदस्यों के खिलाफ अपना पहला आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी, सांसद बेटी मीसा भारती, दूसरी बेटी हेमा यादव और दो संबद्ध कंपनियां - ए के इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और ए बी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।
दिल्ली की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने इन दोनों आरोपपत्रों (अभियोजन शिकायत) का संज्ञान लिया है। यह मामला सीबीआई की एक प्राथमिकी से उपजा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री प्रसाद ने 2004-2009 के दौरान भारतीय रेलवे में ग्रुप डी के स्थानापन्नों की नियुक्ति में "भ्रष्टाचार" किया था।
सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार, उम्मीदवारों या उनके परिवार के सदस्यों को कथित तौर पर रेलवे में नौकरी के बदले में रिश्वत के तौर पर जमीन हस्तांतरित करने के लिए कहा गया था। ये जमीन के टुकड़े प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों के नाम पर पंजीकृत थे। सीबीआई ने इस मामले में तीन आरोपपत्र भी दाखिल किए हैं।