आप के बागी पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने आप नेताओं की विदेश यात्राओं की जानकारी सार्वजनिक किए जाने की मांग को लेकर अपने सरकारी निवास पर अऩशन शुरू कर दिया है। आप के पांच नेताओं संजय सिंह, आशीष खेतान, सत्येंद्र जैन, राघव चढ्डा व दुर्गेश पाठक की विदेश यात्रा की जानकारी मिलने तक उनका अनशऩ जारी रहेगा। साथ ही, सवाल किया है कि मनमोहन की तरह मौन क्यों हैं केजरीवाल।
मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने 16 साल बाद मंगलवार को रोते हुए अपनी भूख हड़ताल खत्म की। इस अवसर पर बेहद भावुक इरोम ने कहा कि अब वह अपने संघर्ष की रणनीति में बदलाव करते हुए राजनीति में उतरना चाहती हैं।
मणिपुर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) की आड़ में सेना के कथित अत्याचारों के खिलाफ पिछले 16 सालों से अनशन पर रहकर विरोध कर रहीं इरोम शर्मिला अपना अनशन खत्म करेंगी। उन्होंने अपना विरोध जारी रखते हुए अगले साल राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
लोकतंत्र की यही ताकत है। केवल विरोधी अथवा गैर सरकारी संगठन नहीं केंद्र सरकार की वरिष्ठ मंत्री सुश्री उमा भारती ने बुंदेलखंड की प्यासी जमीन और लाखों लोगों को राहत देने के लिए केन-बेतवा नदियों को जोड़ने के प्रस्ताव पर मंजूरी नहीं मिलने की स्थिति में अनशन सहित आंदोलन की घोषणा कर दी है। उमाजी स्वयं जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री हैं। नदी जोड़ परियोजना उनके मंत्रालय के तहत है। वह स्वयं बुंदेलखंड की चुनी हुई जन प्रतिनिधि हैं।
नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना को वन्यजीव मंजूरी मिलने में विलंब से क्षुब्ध जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्री उमा भारती ने मंगलवार को चेताया कि अगर लाखों लोगों की खुशहाली सुनिश्चित करने वाली इस परियोजना को पर्यावरणविदों, एनजीओ की हिस्सेदारी वाली स्वतंत्र वन्यजीव समिति की मंजूरी में आगे कोई अड़चन आई तो वह अनशन पर बैठ जायेंगी।
मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला चानू ने राज्य में लागू विवादित सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) को हटाने की मांग को लेकर आज यहां की ऐतिहासिक शहीद मीनार परिसर में अपना अनिश्चितकालीन अनशन फिर से शुरू कर दिया। गौरतलब है कि इरोम शर्मिला 15 साल से अनशन पर हैं और अदालत ने उन्हें कल ही आत्महत्या के प्रयास के आरोप से बरी किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्पष्टीकरण के बाद पूर्व सैनिकों ने वन रैंक-वन पेंशन के मुद्दे पर चल रहा आमरण अनशन खत्म करने का ऐलान किया है लेकिन लंबित मुद्दों पर उनका आंदोलन जारी रहेगा। पूर्व सैनिक जंतर-मंतर पर 12 सितंबर को एक महारैली करेंगे।
मोदी सरकार ने बेशक वन रैंक वन पेंशन की मांग मान ली है लेकिन पूर्व सैनिक इससे संतुष्ट नहीं। वन रैंक-वन पेंशन की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर पिछले कई दिनों से धरना दे रहे पूर्व सैनिकों का कहना है कि उनका धरना और भूख हड़ताल जारी रहेगी।
मेजर जनरल (रिटायर्ड) मोहन सिंह की फौज में सर्विस को महज नौ साल हुए थे। वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में उन्हें एक अहम जिम्मेदारी दी गई। गुरदासपुर की सरहद पर लगते पाकिस्तान में एक पुल था जिसके जरिये पाक सैनिक गुरदासपुर होते हुए पठानकोट के जरिये कश्मीर को भारत से काट देना चाहते थे। उस पुल को नेस्तेनाबूद करने की जिम्मेदारी मेजर मोहन सिंह को दी गई। वह बताते हैं कि ‘ मेरे साथ दस सैनिक और थे। हमने पूरी रात लेट लेट कर सड़क पर बारूद बिछाया। खड़े होते तो सीमा पार से फायरिंग होती। हमारे जिंदा वापस आने की उम्मीद सिर्फ 30 फीसदी थी। मुझे मेरी पत्नी और बच्चों का जरा सा ख्याल नहीं आया, खयाल था तो बस उस पुल को मिटा देने का। हमने इस मिशन पर फतह हासिल की। ’ मेजर मोहन सिंह के अनुसार फौज इस देश के लिए क्या करती है यह बात उन लोगों को शायद पता ही नहीं जिन्होंने हमारी वन रैंक-वन पेंशन की मांग पर फैसला लेना है। वह कहते हैं ‘जिस देश में फौज की इज्जत नहीं होती उसे टुकड़ों में बंटने से कोई नहीं रोक सकता। अगर इन सालों में हमारी पाकिस्तान से लड़ाई नहीं हुई है तो इसका कारण भारत की फौज का मजबूत होना है लेकिन सरकार के रवैये से फौज का हौसला गिरता जा रहा है।