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Search Result : "अनुसूचित जाति-जनजाति संगठन"

भाजपा में नेतृत्व की शैली पर उठने लगे सवाल

भाजपा में नेतृत्व की शैली पर उठने लगे सवाल

भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी के संस्थापक सदस्य को अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। तब पार्टी के संस्थापक सदस्य ने कहा कि, 'कुछ मत बोलो बहुत टेरर है।’ विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक यह कटाक्ष भाजपा के मौजूदा नेतृत्व को लेकर था और जब पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार की चिट्ठी सामने आई तो इस 'टेरर’ का अंदाजा लगाया जा सकता है।
राजद के बिहार बंद से जीवन हुआ अस्त-व्यस्त

राजद के बिहार बंद से जीवन हुआ अस्त-व्यस्त

सोमवार को राजद द्वारा किए गए बिहार बंद के चलते पूरे बिहार में आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया। राजधानी पटना में इस बंद का खासा असर देखा गया। दुकानें, शैक्षणिक संस्थानों को जबरन बंद कराए जाने और कई ट्रेनों का परिचालन बाधित कर दिए जाने के कारण पूरे बिहार में आम जीवन प्रभावित रहा। पटना में लालू यादव बंद का नेत़त्व करते हुए पार्टी नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिए गए।
बिहार की राजनीति में जाति की ताकत का सच

बिहार की राजनीति में जाति की ताकत का सच

आजादी के आंदोलन और कांग्रेस की रणनीति और उससे भी बढ़कर पिछड़ा समुदाय की सत्ता से जुडे रहने की चाहत ने उनको कांग्रेस प्रिय बना दिया। जिन्हें कांग्रेस में जाना अच्छा नहीं लगा, वह वामपंथी, समाजवादी पार्टियों से जुड़ने लगे। हर हाल में बिहार में वोट से जाति का रिश्ता जुड़ गया।
गजेंद्र चौहान के पक्ष में टकराव पर उतरे हिंदुत्ववादी संगठन

गजेंद्र चौहान के पक्ष में टकराव पर उतरे हिंदुत्ववादी संगठन

फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) परिसर में आंदोलनकारी छात्रों को जबाव देने के लिए हिंदुतत्वादी संगठन टकराव और तोड़फोड़ पर उतर आए हैं। पुणे के पतित पावन संगठन ने एफटीआईआई परिसर में ‘गजेंद्र हम तुम्हारे साथ हैं’ के नारे लगाए। आंदोलकारी छात्रों का आरोप है कि कल रात इसी संगठन के सदस्यों ने प्रतीक के रूप में अंदोलनकारी छात्रों द्वारा लगाई गई एक कलाकृति तोड़ दी और तोड़फोड़ मचाई। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे छात्र प्रतीक वत्स कहते हैं कि ‘ वे लोग नारे लगा रहे थे, नक्सलवादियों बाहर निकलो। ’
श्रम कानूनों में सुधार पर अडिग हैं मोदी

श्रम कानूनों में सुधार पर अडिग हैं मोदी

श्रम कानूनों में सुधार के प्रस्तावों पर श्रम संगठनों के कड़े विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि श्रम कानूनों में जरूरी सुधार किए जाएंगे मगर ये सुधार श्रम संगठनों के परामर्श और उनकी सहमति से ही होंगे। प्रधानमंत्री ने यहां 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।
हड़ताल: एक दिन के लिए गुल हो सकती है बत्‍ती

हड़ताल: एक दिन के लिए गुल हो सकती है बत्‍ती

विद्युत संशोधन विधेयक, 2014 का विरोध कर रहे बिजलीकर्मियों तथा अभियंताओं की एक राष्ट्रीय समिति ने मंगलवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान इस विधेयक को पेश किए जाने वाले दिन देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने सोमवार को लखनऊ में बताया कि बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति के आह्वान पर देश के 12 लाख बिजली कामगार और इंजीनियर संसद के मानसून सत्र के दौरान एक दिन की हड़ताल के लिए तैयार हैं।
जनगणना के जातिवार आंकड़ेः सरकार ने टाली अपनी बला

जनगणना के जातिवार आंकड़ेः सरकार ने टाली अपनी बला

जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी नहीं करने को लेकर उत्पन्न विवाद के बीच केंद्र सरकार ने गुरुवार को नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है। यह समूह जाति के आधार पर आंकड़ों का वर्गीकरण करने के लिए बनाया गया है।
सरकारी आंकड़ों के समंदर में तैरती सच्‍चाई

सरकारी आंकड़ों के समंदर में तैरती सच्‍चाई

इसी महीने जारी सामाजिक-आर्थिक-जाति जनगणना (एसईसीसी) के आंकड़े देखकर हम दिल्ली में समुंदर खोजने लग गए। इन आंकड़ों के नुसार दिल्ली में मछली पकड़ने की मशीनी नौकाएं 14,468 परिवारों के पास हैं-बड़े समुद्र तटीय क्षेत्र वाले तमिलनाडु के 13,760 परिवारों के पास ऐसी नौकाओं से कहीं ज्यादा। और तमिलनाडु के बड़े तटीय भूभाग को पखारता विशाल समुंदर और उसमें दूर-दूर तक डूबती-उतराती, मछली मारने के लिए जाल फैलाती अनगिनत मशीनी और मानव चालित नौकाएं हमने आंखों देखी हैं।
आधी आबादी मजदूर, लेकिन अति वंचित 1% से कम?

आधी आबादी मजदूर, लेकिन अति वंचित 1% से कम?

केंद्र सरकार ने लंबे इंतजार के बाद सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) 2011 के कुछ आंकड़े जारी किए हैं। हालांकि, जाति से जुड़े आंकड़ों का अभी भी खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन ग्रामीण भारत से जुड़े कई चौंकाने वाले तथ्‍य सामने आए हैं। इनमें से कुछ आंकड़े काफी विवादस्‍पद नजर आते हैं। नतीजों को सार्वजनिक करने में देरी और आपत्तियों की सुनवाई को लेकर यह जनगणना पहले ही सवालों से घिरी है। जानिए देश के 640 जिलों में हुई सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना ग्रामीण भारत की कैसी तस्‍वीर पेश करती है-
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