Advertisement

Search Result : "अरुणा रॉय"

जयश्री रॉय की कहानी: दुर्गंध

जयश्री रॉय की कहानी: दुर्गंध

18 मई को हजारीबाग (बिहार) में जन्म। हिंदी में स्वर्ण पदक के साथ गोवा विश्वविद्यालय से एम ए। अनकही, तुम्हें छू लूं जरा, खारा पानी, कायान्तर (कहानी संग्रह)। औरत जो नदी है, साथ चलते हुए और इकबाल (उपन्यास)। तम्हारे लिए (कविता संग्रह)। आकाशवाणी से रचनाओं का नियमित प्रसारण। कहानियों के लिए युवाकथा सम्मान (सोनभद्र) 2012
आईसीएचआर पैनलः रोमिला थापर, इरफान हबीब आदि गए, ‘चीन्हो तो जानें’ आए

आईसीएचआर पैनलः रोमिला थापर, इरफान हबीब आदि गए, ‘चीन्हो तो जानें’ आए

जैसे चीजें चल रही हैं, भारतीय अनुसंधान परिषद का नाम जल्द ही भारतीय इतिहास गोलमाल परिषद कर देना चाहिए। उदाहरण के तौर पर सबसे पहले पहचान की एक गड़बड़ी को लें। भारत के गजट में अधिसूचित किया गया कि किन्हीं वी.वी हरिदास को भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद का नया सदस्य नियुक्त किया गया है जो ‘कालीकट में इतिहास के प्रोफेसर’ हैं। जब इन हरिदास महाशय ने हिचकते हुए आईसीएचआर फोन करके कहा कि वह इससे बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं, तब पता चला कि यह वह हरिदास नहीं हैं जिनकी अनुशंसा मंत्रालय ने की थी। इतिहास में पीएचडी वी.वी हरिदास मंगलूर विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। लेकिन यह तो कोई दूसरे पी.टी हरिदास थे जिन्हें परिषद के लिए मनोनीत किया गया था हालांकि वह पी.एच.डी नहीं थे।
समीक्षा - रंगीले की रंगीनियत

समीक्षा - रंगीले की रंगीनियत

ज्यादातर भारतीय फिल्म निर्देशक ‘पोस्ट इंटरवेल ब्लू’ यानी मध्यांतर के बाद फिल्म को झुला देने की आदत से पीड़ित रहते हैं। तो कुछ हद तक गुड्डू रंगीला के निर्देशक सुभाष कपूर भी इससे बच नहीं पाए हैं। लेकिन यदि खाप पंचायत के सामने लड़कियों की स्थिति पर एक शानदार तकरीर वाले दृश्य पर विचार किया जाए, आखिरी दृश्य में शोले स्टाइल की लड़ाई और इस तरह के दृश्यों को देखें तो लगता है कि भारतीय दर्शकों के लिए भी यह सब जरूरी है। आखिर बुरा आदमी लहूलुहान हो कर पिटे ही न, उससे परेशान दो लड़कियां हीरो स्टाइल में उसे गोली न मारे तो क्या मजा। आखिर यह मजा ही दर्शकों को सिनेमाघर में खींचता है।
सुप्रीम कोर्ट ने जगाई सुब्रत रॉय की रिहाई की आस

सुप्रीम कोर्ट ने जगाई सुब्रत रॉय की रिहाई की आस

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सहारा प्रमुख सुब्रत राय की जेल से रिहाई 5,000 करोड़ रुपये नकद जमा करने और 5,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी देने पर निर्भर करती है।
आईएसआई निदेशक बिमल कुमार रॉय बर्खास्त

आईएसआई निदेशक बिमल कुमार रॉय बर्खास्त

कोलकाता में प्रतिष्ठित भारतीय सांख्यिकी संस्थान आईएसआई के निदेशक बिमल कुमार रॉय को उनके पद से हटा दिया गया है। उनके खिलाफ यह कार्रवाई इस आशंका के आधार की गई है कि वह अनुशासनहीनता एवं वित्तीय अनियमितता सहित नुकसान करने वाली कार्रवाई कर सकते हैं।
लोकतांत्रिक तरीके से चुना व्यक्ति भी तानाशाह हो सकता हैः नामवर सिंह

लोकतांत्रिक तरीके से चुना व्यक्ति भी तानाशाह हो सकता हैः नामवर सिंह

आलोचना (त्रैमासिक) पत्रिका के अंक 53-54 के प्रकाशन के उपलक्ष्य में ‘भारतीय जनतंत्र का जायजा’ विषय पर साहित्य अकादमी-सभागार में आयोजित परिचर्चा में युवाओं की भागीदारी जबरदस्त रही। दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय सहित अन्य अकादमिक संस्थानों के छात्रों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। युवाओं ने जनतंत्र से जुड़े सवालों की झड़ी लगा दी। एक युवा ने सवाल खड़ा किया कि आखिर क्यों ‘आलोचना’ पहले जैसी नहीं होती ! जिसकी आलोचना होती है वह और मजबूत क्यों हो जाता है।
अलविदा अरुणा शानबाग

अलविदा अरुणा शानबाग

(एजेंसी) 38 साल बाद बिना न्याय पाए अरुणा शानबाग ने आखिरकार दुनिया को अलविदा कह दिया है। शानबाग हमारे देश में महिलाओं के प्रति गंभीर यौन अपराध, कुंठित सामाजिक व्यवस्था, ढीली न्याय व्यवस्था का जीता जागता सुबूत थी।
‘प्यारी मौत शुक्रिया, अरुणा को ले जाने के लिए’

‘प्यारी मौत शुक्रिया, अरुणा को ले जाने के लिए’

38 साल बाद बिना न्याय पाए अरुणा शानबाग ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। जैसे ही अरुणा शानबाग की मौत की खबर की पुष्टि हुई, सोशल मीडिया पर हैशटेग # Aruna shanbaug पर सेलिब्रिटिज समेत तमाम लोगों ने अरुणा के प्रतिं संवेदना जाहिर की। कुछ ने बलात्कार पर कानून के ढीले रवैये पर गुस्सा जाहिर किया तो कुछ ने समाज पर। इस बीच ज्यादातर लोगों ने मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) अस्पताल के स्टाफ की उन नर्सों को सलाम किया, जो बिना स्वार्थ के पिछले 38 सालों से अरुणा की सेवा कर रही थीं। फेसबुक और टि्वटर पर अरुणा को श्रद्धांजलि संबंधी कुछ टिप्पणियां-
अरुणा शानबाग की मौत और मुक्ति की जद्दोजहद

अरुणा शानबाग की मौत और मुक्ति की जद्दोजहद

पिछले 42 साल में उसने एक शब्द नहीं बोला न ही एक कदम भी वह चल पाई। जीवन के चार दशक उसने बिस्तर पर बिताए जबकि 23 साल की उम्र में उसने भी एक सुखमय विवाहित जीवन के सपने देखे थे और उसके सपने सच होने में केवल कुछ दिनों का ही फासला था। लेकिन महज एक पुरुष की हवस ने उसके जीवन को नरक में बदल दिया।
42 साल कोमा के बाद अरुणा शानबाग का निधन

42 साल कोमा के बाद अरुणा शानबाग का निधन

करीब 42 सालों से जिंदा लाश की तरह केईएम अस्पताल के वॉर्ड नंबर 4 में भर्ती अरुणा शानबाग की मौत हो गई। तीन दिन पहले उन्हें निमोनिया के चलते आईसीयू में रखा गया था।
Advertisement
Advertisement
Advertisement