भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर पार्टी के अंदर खलबली मचा दी है। शाह को लिखी चिट्ठी मेे शांता कुमार ने व्यापमं घोटाले को लेकर सवाल उठाए हैं।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और हिमाचल प्रदेश से भाजपा सांसद शांता कुमार के फेसबुक पर डाले गए पत्र से भाजपा के अंदर खलबली मच गई है। यह पत्र पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को लिखा गया है। पत्र में शांता कुमार ने लिखा, ‘ घोटालों को लेकर खबरों से पार्टी का सिर झुक गया है।’ इस बवाल से संबंधित कुछ पहलुओं पर शांता कुमार ने अपने दिल्ली स्थित निवास पर बातचीत की। हालांकि इस बीच उन्हें शांत करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा समेत पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के फोन आते रहे।
संप्रग एक की सरकार में लालू प्रसाद के साथ केंद्रीय मंत्री रहे और वर्ष 2009 का लोकसभा और 2010 का विधानसभा चुनाव उनके साथ मिलकर लड़ने वाले बिहार के वरिष्ठ दलित नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि लालू के साथ रहने के जमाने में भी कभी दोनों के दिल नहीं मिले।
श्रम कानूनों में सुधार के प्रस्तावों पर श्रम संगठनों के कड़े विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि श्रम कानूनों में जरूरी सुधार किए जाएंगे मगर ये सुधार श्रम संगठनों के परामर्श और उनकी सहमति से ही होंगे। प्रधानमंत्री ने यहां 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।
आजादी के बाद हिंदी साहित्य में जिन पत्रिकाओं ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई उनमें 'पहल' का नाम उल्लेखनीय है। यह पत्रिका अपने वैचारिक तेवर और प्रतिबद्धता के लिए विशेष रूप से जानी जाती है। हिंदी की इस चर्चित पत्रिका ने प्रकाशन के चालीस साल पूरे कर लिए हैं। इस पत्रिका ने देश के चार दशकों के राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक जीवन और इतिहास को भी समेटा है। हाल ही में इसका सौवां अंक आया। इस मौके पर जबलपुर में एक समारोह भी आयोजित किया गया।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को लुभाने के लिए नया दांव चला है। भाजपा अब राज्य में पहली बार पार्टी द्वारा गठित ओबीसी मोर्चा की पहली राज्य स्तरीय कार्यकारिणी का गठन बिहार में करेगा।
सरकार पर 'किसान विरोधी' होने का दाग लगवाकर भी भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की जिद्द पर अड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यही मुद्दा नीतिगत मोर्चे पर शिकस्त दे रहा है। बुधवार को हुई नीति आयोग की बैठक में तकरीबन साफ हो गया कि केंद्र सरकार संसद के जरिये भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की आस छोड़कर राज्यों को अपने कानून बनाने के लिए प्रेरित करेगी। हालांकि, मोदी सरकार से यह प्रेरणा लेने के लिए केवल 16 मुख्यममंत्री मौजूद थे। यानी भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की कवायद पूरे देश के बजाय अब एनडीए शासित राज्यों तक सिमट जाएगी। लेकिन इसके खतरे भी कम नहीं हैं।
'बहुत हुआ जुमलों का वार, फिर एक बार नीतीश कुमार’, 'आगे बढ़ता रहे बिहार, फिर एक बार नीतीश कुमार’ कुछ ऐसे ही नारे लिखे पोस्टरों से बिहार की राजधानी पटना अटा पड़ा है। पटना की सडक़ों पर बड़े-बड़े होर्डिंग देखकर ऐसा लगता है मानों राज्य में और किसी सियासी दल का कोई वजूद नहीं है। राजनीतिक दलों के पार्टी कार्यालयों को छोड़ दें तो चौराहों या सार्वजनिक स्थलों पर दूसरे दलों के होर्डिंग न के बराबर दिखेंगे। यहां तक कि सडक़ों पर चल रहे ऑटो रिक्शा पर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुस्कुराती तस्वीरों वाले पोस्टर चिपके मिलेंगे।