Advertisement

Search Result : "आजादी की मांग"

राजकोषीय घाटा नहीं, मांग बढ़ाने की चिंता जरूरी: प्रो. अरुण कुमार

राजकोषीय घाटा नहीं, मांग बढ़ाने की चिंता जरूरी: प्रो. अरुण कुमार

जाने-माने अर्थशास्त्री और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रोफेसर अरुण कुमार देश में मौजूदा आर्थिक हालात को वैश्विक आर्थिक सुस्ती की देन मानते हैं। उनका यह भी मानना है कि हर सरकार राजकोषीय घाटा कम करने के लिए ही चिंतित रहती है और उसी मुताबिक बजट बनाकर किसी लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रहती है। इसे वह गलत धारणा मानते हैं। आउटलुक के राजेश रंजन से बातचीत में उन्होंने रोजगार, घरेलु मांग, विकास दर आदि बढ़ाने पर जोर दिया।
जेएनयू और रोहित के मुद्दे पर माकपा ने की संसदीय समिति की मांग

जेएनयू और रोहित के मुद्दे पर माकपा ने की संसदीय समिति की मांग

माकपा की अगुवाई में आज विपक्ष ने हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या और जेएनयू से जुड़ी घटना को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला और घटनाओं की जांच के लिए एक संसदीय समिति गठित करने की मांग की। वहीं सत्ता पक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि विश्वविद्यालय को देशविरोधी गतिविधियों का केंद्र नहीं बनने देना चाहिए।
चर्चाः अभिव्यक्ति पर नई तोप | आलोक मेहता

चर्चाः अभिव्यक्ति पर नई तोप | आलोक मेहता

‘तोप चलाओ और सत्ता पाओ’। वह बात भूल जाएं कि तोप के बजाय अखबार निकालें, क्योंकि सरकारी बंदूक रखने वाले इसी हथियार की ताकत से सत्ता के बड़े पदों की कामना करने लगते हैं। तभी तो जल्द ही रिटायर होने वाले दिल्ली के पुलिस आयुक्त बी.एस. बस्सी ने राजनीतिक तोप इस्तेमाल कर राष्ट्रद्रोह के वर्तमान कानून को खत्म करने के बजाय इसका दायरा बढ़ाने की सलाह दे डाली है।
जाट राजनीति में फंसी भाजपा, हरियाणा में सेना का फ्लैग मार्च

जाट राजनीति में फंसी भाजपा, हरियाणा में सेना का फ्लैग मार्च

हरियाणा की भाजपा सरकार की मुसीबत यह है कि अगर उसने जाटों पर सख्ती की तो इसका असर उत्तर प्रदेश में होगा जहां जाटों के समर्थन के बूते पार्टी अगले साल सत्ता में आने का ख्वाब देख रही है। पार्टी की इस मजबूरी की वजह से आंदोलनकारियों पर सख्ती नहीं हो पाई और यह तूल पकड़ गया।
एक्सक्लुसिवः नेपाल में अलग मधेस राष्ट्र की मांग को हवा

एक्सक्लुसिवः नेपाल में अलग मधेस राष्ट्र की मांग को हवा

नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. ओली की भारत यात्रा की तैयारी और भारत नेपाल सीमा पर मधेसी नाकेबंदी के खत्म होने के बाद देश के इस हिमालयी पडोस में हालात सामान्य होने की उम्मीद है। लेकिन जिस तरह नेपाल के तराई इलाके के 20 जिलों, जिन्हें मधेस के नाम से जाना जाता है, में गुपचुप तरीके से पृथक राष्ट्र के बीज बोए जा रहे हैं, उससे इस इलाके के जल्द ही और ज्यादा अशांत होने की आशंका बढ़ गई है। इसे लेकर भारत सरकार और भारतीय खुकिया एजेंसियां भी चौकन्नी हैं कि भारत और नेपाल की मुख्य भूमि के बीच के इस तराई इलाके में अलगाववाद के बीज आखिर कौन बो रहा है।
जेएनयू मामला: एनआईए जांच की मांग वाली याचिका खारिज

जेएनयू मामला: एनआईए जांच की मांग वाली याचिका खारिज

जेएनयू देशद्रोह मामले में एनआईए जांच की मांग वाली एक याचिका को मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। न्यायालय ने याचिका को समय से पूर्व दायर बताते हुए खारिज किया।
जनवरी में भारत से निर्यात में आई 13.6 प्रतिशत की गिरावट

जनवरी में भारत से निर्यात में आई 13.6 प्रतिशत की गिरावट

भारत के निर्यात में लगातार 14वें माह गिरावट का रुख रहा। वैश्विक मांग नरम रहने के बीच पेट्रोलियम उत्पादों व इंजीनियरिंग वस्तुओं के निर्यात में तेज गिरावट के चलते जनवरी में देश का निर्यात 13.6 प्रतिशत घटकर 21 अरब डॉलर पर आ गया।
लोकतंत्र में बोलने की आजादी को हल्के में नहीं ले सकते: कमल हासन

लोकतंत्र में बोलने की आजादी को हल्के में नहीं ले सकते: कमल हासन

सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये जर्मनी में हिटलर के सत्ता में आने और भारत में आपातकाल के ऐतिहासिक घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए अभिनेता कमल हासन ने कहा कि हम बोलने की आजादी को हल्के में नहीं ले सकते। साथ ही हासन ने लोकतंत्र में बोलने की आजादी के संरक्षण के लिए सतत निगरानी को जरूरी बताया।
जो चाहते हैं उन्हें बीफ खाने की अनुमति दी जानी चाहिए: कांत

जो चाहते हैं उन्हें बीफ खाने की अनुमति दी जानी चाहिए: कांत

वरिष्ठ नौकरशाह अमिताभ कांत का मानना है कि भारत जैसे लोकतंत्र में अगर कुछ लोग चाहते हों तो उन्हें बीफ सेवन की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंसद की आजादी होनी चाहिए।
अब थरूर ने संसदीय व्यवस्था को ही खारिज किया

अब थरूर ने संसदीय व्यवस्था को ही खारिज किया

पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने आज कहा कि भारतीय राष्ट्रीय चरित्र के हिसाब से हमारे यहां के लिए संसदीय व्यवस्था मुनासिब नहीं है लेकिन देश इसमें अटक गया है क्योंकि वह हर चीज को मूर्त रूप देने के लिए अंग्रेजों की ओर देखता रहा है। थरूर ने कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण और बड़ी आबादी वाले देश में संसदीय प्रणाली का कारगर होना कठिन है।
Advertisement
Advertisement
Advertisement