आनंद एल राय निर्माता के रूप में शायद ‘तनु वेड्स मनु’ से आगे कुछ चाह रहे थे। इस बार उन्होंने निर्देशन की बागडोर आर एस प्रसन्ना के हाथों में दे दी। फिल्म के कई संवादों पर खूब तालियां बजीं, ठहाके भी लगे। बालकनी में बैठने वाले शायद सीटी न बजा पाएं पर जो लोग ड्रेस सर्किल में बैठते हैं उनके लिए उसकी पूरी छूट है। इसका सिर्फ इतना सा कारण है कि फिल्म पहली बार सेक्स करने में अक्षम पुरुष पर खुल कर बात करती है।
दिल्ली के खान मार्किट स्थित लोकनायक भवन में भयंकर आग लग गई। इस भवन में ईडी और आयकर विभाग के ऑफिस के साथ-साथ राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का ऑफिस भी मौजूद हैं।
धूम्रपान छोड़ने के बाद भी प्रणव मुखर्जी का पाइप के प्रति लगाव कम नहीं हुआ था। उन्होंने कभी सिगरेट नहीं पी, सिर्फ पाइप ही पी। अब उनके द्वारा संग्रहित पांच सौ से ज्यादा पाइप राष्ट्रपति भवन में एक याद के तौर पर रह जाएंगे।