अकाल के कगार पर खड़े बुंदेलखंड में कराए गए एक सर्वेक्षण पर स्वराज अभियान और बुदेलखंड आपदा राहत मंच ने अपनी तरफ से सफाई दी है। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया था कि बुंदेलखंड के 108 गांव में से 38% गांव से खबर है कि वहां होली से लेकर अब तक भूखमरी या कुपोषण की वजह से मौत हुई है।
सामाजिक ताना-बाना समझना किसी के लिए भी आसान नहीं है। इस जटिलता को भी असगर वजाहत ने बहुत अच्छी तरह न सिर्फ समझा बल्कि उसे बयान करने का शिल्प भी कमाल का है। यह शब्द जाने-माने साहित्यकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के हैं, जो उन्होंने असगर वजाहत की कहानियों को पढ़ने के बाद कहे थे।
दिल्ली में प्याज खरीद घोटाले पर सफाई देने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार ने अखबारों तथा टेलीविजन चैनलों पर विज्ञापन देने में 23 लाख 65 हजार करोड़ रुपये बहा दिए। सरकार पर आरोप लगाया गया था कि इसने 18 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज खरीदकर दिल्ली में 40 रुपये में बिकवाए।
भाजपा सफाई कर्मचारियों के लिए फिर दांव चलने की तैयारी में। जबकि सैंकड़ों सफाई कर्मचारी सीवर-सेप्टिक टैंक में मर रहे हैं और केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर पूरी तरह खामोश हैं।
दाऊद इब्राहिम के खिलाफ भारत की ओर से गुप्त अभियान चलाए जाने की खबर को लेकर पर सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौड़ को ट्वीटर पर देनी पड़ी सफाई। इस मुद्दे पर पर सोशल मीडिया के निशाने पर आ गए थे।
हिंदी के नामचीन कथाकार उदय प्रकाश की हिंदुत्व वादी ताकतों द्वारा कन्नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा सोशल मीडिया पर विवादों में आ गई है। अब उदय प्रकाश के भी गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ के हाथों पुरस्कार लिया था। शाम तक तो उदय प्रकाश की तारीफ में कसीदे पढ़े जा रहे थे लेकिन उसके बाद गड़े मुर्दे उखड़ गए। खबर लिखे जाने तक उदय प्रकाश के पक्ष में आवाजें नहीं आई थीं-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौर के दिन ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लंबी मुलाकात कर भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने राज्य की राजनीति में खलबली मचा दी है।
फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन से डीडी किसान चैनल का प्रचार कराने का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। इस बारे में अपनी सफाई देते हुए अमिताभ बच्चन ने जो तथ्य सामने रखें हैं, उनसे कई सवाल खड़े हो गए हैं। अगर अमिताभ बच्चन वाकई डीडी किसान का निशुल्क प्रचार करने वाले थे तो दूरदर्शन 8.5 करोड़ रुपये लुटाने पर क्यों आमादा रहा? कहीं अमिताभ की आड़ में दूरदर्शन और एड एजेंसी के बीच तो बड़ा खेल नहीं हो गया?