देश के बैंक एक और माल्या का पता लगाने जा रहे हैं। बैंकों के समूह ने आलोक इंडस्ट्री और उसकी सहयोगी कंपनियों को चार माह पहले 20 हजार करोड़ रुपए का लोन दिया था।
महाराणा प्रताप को नमन करते समय अकबर के मुकाबले बहादुरी का ज्ञान किसी को दिया जा सकता है? इसी तरह पं. जवाहरलाल नेहरू के पहले प्रधानमंत्री बनने की जानकारी दिए बना संविधान निर्माता समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल का स्मरण किया जा सकेगा?
दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के नाम पर पिछले दशकों में राजीनतिक खेल होते रहे हैं, लेकिन भाजपा सहयोगी संगठनों ने इस बार ‘स्नान राजनीति’ का नया रूप पेश कर दिया है।
एक बार फिर लुभावना वायदा। तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए अन्नाद्रमुक की नेता सुश्री जयललिता (अम्मा के रूप में लोकप्रिय) ने इस बार जीतने पर महिलाओं को 100 मेगावाट बिजली मुफ्त देने की घोषणा कर दी है। प्रदेश में पुरुषों से अधिक महिला मतदाता हैं और अम्मा उन्हें हरसंभव जोड़े रखना चाहती हैं।
मनमोहन सिंह की ईमानदारी और भलमनसाहत पर कोई प्रश्न नहीं उठाया गया। यह तर्क भी दिया जाता है कि वह राजनीतिज्ञ ही नहीं हैं। उनके वित्त मंत्री रहते शेयर घोटाले जैसे आरोप आने पर सारा कीचड़ नरसिंह राव के सिर पर उलट दिया गया। 2004 से 2014 तक दस वर्ष प्रधानमंत्री रहते हुए सरकार पर घोटालों और भ्रष्टाचार के गंभीरतम आरोप लगे एवं कांग्रेस पतन के गर्त तक पहुंच गई।
सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के लोगों को राहत पहुंचाने के मकसद से केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई जल ट्रेन खाली निकली है। इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री ने केंद्र के भेजे पानी के टैंकरों को स्वीकारने से मना कर दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के सांसदों को सलाह दी है कि वे अपने संसदीय क्षेत्रों-गांवों में जाकर जन कल्याण योजनाओं और सफलताओं की जानकारियां दें। मतलब भाजपा सरकार के दो वर्ष (26 मई) पूरे होने के अवसर पर अपना बाजा बजाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक फैसले में कहा कि ‘शिक्षा व्यापार नहीं बल्कि उत्कृष्ट कार्य है। शिक्षा का उद्देश्य देश के लोगों को शिक्षित और सशक्त बनाना है। राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त प्रवेश परीक्षा लिया जाना या फीस निर्धारित करना शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है।’
दिल्ली सचमुच निराली है। दुनिया के किसी देश की राजधानी में नेता, अधिकारी, पुलिस, टैक्सी-ऑटो-बस चालक और ढाबा चलाने वाले ऐसी दादागिरी नहीं करते। यहां मुख्यमंत्री केजरीवाल स्वयं मनमाने ढंग से आदेश जारी करते हैं और डेढ़ करोड़ जनता की इच्छा बता देते हैं। सीधे प्रधानमंत्री को चुनौती देते रहते हैं और प्रचार पर पांच सौ करोड़ रुपये खर्च कर देते हैं।
सत्ताधारियों को तलवार लटकाना बहुत अच्छा लगता है। इसी तरह मीडिया का एक वर्ग सदा यह समझता रहा है कि वह सर्वशिक्तमान है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ सत्ता को बनाने-बिगाड़ने और देश की दशा तय करने का काम कर सकता है। यह दोनों प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था में अनुचित है।