एक अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) में काम करने वाली और संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा पिछले महीने काबुल में अगवा कर ली गई एक भारतीय महिला को मुक्त करा लिया गया है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी नीत एनडीए सरकार पर आरोप लग रहा है कि इशरत जहां एनकाउंटर मामले में दायर दो हलफनामों से संबंधित गुम फाइलों की जांच में गड़बड़ी हुई है। इस मामले में गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी अतिरिक्त सचिव बी.के. प्रसाद की अध्यक्षता में गठित कमेटी पर गड़बड़ी का आरोप है।
न्यूजीलैंड ने भारत में जन्मे सलामी बल्लेबाज जीत रावल को जिम्बाब्वे और दक्षिण अफ्रीका के आगामी चार टेस्ट के दौरे के लिये शुक्रवार को टीम में चुना। सोलह सदस्यीय टीम में रावल एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने एक भी अंतरराष्टीय मैच नहीं खेला है। टीम में भारत में जन्मे स्पिनर ईश सोढ़ी की भी दो साल बाद वापसी हुई है। सत्ताईस वर्षीय रावल भारत में जूनियर खिलाड़ी थे और 2004 में अपने परिवार के साथ न्यूजीलैंड में बस गये थे।
भारत में बंधुआ मजदूरी, वेश्यावृत्ति और भीख जैसी आधुनिक गुलामी के शिकंजे में एक करोड़ 83 लाख 50 हजार लोग जकड़े हुए हैं। इस तरह दुनिया में आधुनिक गुलामी से पीड़ितों की सबसे ज्यादा संख्या भारत में है। दुनिया भर में ऐसे गुलामों की तादाद तकरीबन चार करोड़ 60 लाख है।
हाल ही में कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पार्टी हरियाणा से नामी वकील और पूर्व राज्यसभा सांसद आरके आनंद को भी राज्यसभा भेज सकती है। बशर्ते आनंद प्रदेश से अपने लिए समर्थन जुटा सकें। कांग्रेस ने आरके आनंद को कहा है कि अगर वह हरियाणा से ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) का समर्थन हासिल कर सकते हैं तो पार्टी उन्हें हरियाणा से उम्मीदवार घोषित कर सकती है। गौरतलब है कि राज्यसभा में सरकार के पास समर्थन नहीं है, इसलिए कांग्रेस चाहती है कि उसके तेज-तर्रार नेता राज्यसभा में पहुंचे। आरके आनंद जहां नामी वकील माने जाते हैं वहीं पार्टी के फायर ब्रांड नेता भी हैँ। कानूनी तौर पर उन्होंने बहुत दफा कांग्रेस के दिग्गजों की नइय्या पार लगाई है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व आयुक्त ललित मोदी के प्रत्यर्पण के लिए केंद्र सरकार से पहल करने का आग्रह किया है, जिसकी कानूनी समीक्षा की जा रही है।
देश के 13 राज्य गंभीर सूखे के संकट से जूझ रहे हैं। देश में औसतन हर साल 30 हजार हेक्टेयर खेती योग्य भूमि कम हो रही है। पर्यावरणविदों ने सरकार से मांग की है कि सूखे की समस्या के निपटारे के लिए दीर्घाकालीन पहल करने की जरूरत है।