नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला को हटाकर उनकी जगह राज्य के खेल मंत्री इमरान अंसानी को जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ (जेकेसीए) का नया अध्यक्ष चुना गया है। लेकिन इस चुनाव पर अदालत की रोक के चलते अब्दुल्ला जेकेसीए की पिच पर नॉट आउट बने हुए हैं।
सुंदरता और सेहत एक सिक्के के दो पहलू हैं। ऐसा कहना है सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन का। वह बताती हैं कि अच्छी सेहत चेहरे पर रंगत लाती है और अच्छी सेहत की पूंजी है योग।
प्रधानमंत्री के आह्वान पर हैशटैग #SelfieWithDaughter टॉप ट्रेंड तो रहा ही साथ ही बेटियों संग सेल्फी खींच सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर पोस्ट करने का सिलसिला थम नहीं रहा। न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में लोगों ने अपनी बेटियों के साथ सेल्फी खींची और पोस्ट की लेकिन इस बीच गुजरात की एक ऐसी बेटी ने अपने कत्ल हो चुके अब्बा के साथ अपनी एक सेल्फी पोस्ट कर प्रधानमंत्री के नाम संदेश लिखा। सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इस समय वायरल हो चुकी यह सेल्फी और संदेश एहसान जाफरी की बेटी निशरीन जाफरी हुसैन का है।
टाइमपास पत्नी की भूमिका के बाद टाइम पास प्रेमिका की भूमिका में कंगना रणौत हाजिर हैं। बस इसके लिए दर्शकों को सितंबर तक इंतजार करना होगा। निखिल आडवाणी की रोमांटिक कॉमेडी कट्टी बट्टी में कंगना इस बार बांके छोरे इमरान खान के साथ जोड़ी जमा रही हैं।
यह तो तय है कि फिल्मकार पुरानी जड़ों की ओर लौट रहे हैं। 60-70 के दशक की ‘परंपराएं’ और ‘संस्कार’ उन्हें लुभा रहे हैं। हमारी अधूरी कहानी इस बात के प्रमाण देती है। एक प्रेम कहानी को फिल्माने के हजारों तरीके होते हैं। फिर भी यह तरीके तयशुदा ही है। दो नायक एक नायिका वाला यह त्रिकोण भी ऐसा ही है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने आज विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनसे सीधा संवाद स्थापित करने की कोशिश की, सोनिया गांधी की जगह खुद केंद्रक के रूप में दावेदारी
यह किस्सों का संकलन है। मुजफ्फरपुर बिहार में तवायफों की एक 100 साल से पुरानी बस्ती है चतुर्भुज स्थान, जो बहुत प्रसिद्ध रहा है। उसके 100 साल के इतिहास को जानने-समझने की एक विनम्र कोशिश है यह किताब। इसमें उनके उत्थान के किस्से हैं, उनके पतन की नजीरें हैं।
कोठागोई का एक उद्देश्य है आज की पीढ़ी का परिचय कोठों की उस संस्कृति से करवाना जो कभी तहजीब का केंद्र होता था, बाद में उसका रूप, उसकी पहचान बदलती गई। इसमें उन किरदारों के सुख हैं, दुःख हैं, गीत है, संगीत है जिनको न इतिहास ने याद किया न संस्कृति के अलंबरदारों ने।
इस किताब का प्रकाशन वाणी प्रकाशन से हो रहा है।
किसी साधारण बात को खास बनाने की जो भी संभव कोशिश हो सकती है, विक्रम भट्ट ने की है। थ्रीडी चश्मा, गायब होने वाला नायक, अंग्रेजी फिल्मों की तरह मारधाड़, विज्ञान के (कृपया बेतुका पढ़ें) चमत्कार आदि-आदि। फिर भी बेचारे दर्शक को समझ नहीं आता कि छोटे और ग्लैमरस कपड़ों में सिया वर्मा (अमायरा दस्तूर) दरअसल कैसी वाली पुलिस बनी हैं। रघु राठौर (इमरान हाशमी) पता नहीं कैसे सुपरकॉप बनें हैं जो न पहले अपने पुलिसिए बॉस का खुरपेंची दिमाग समझ पाए न बाद में अपनी पुलिसिया गर्लफ्रैंड का। मतलब दो-दो बार धोखा।