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चेहरे नहीं अभिव्यक्ति पर कालिख

चेहरे नहीं अभिव्यक्ति पर कालिख

देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री और बाबरी मस्जिद के खिलाफ उग्र राष्ट्रव्यापी मंदिर आंदोलन चलाने वाले लालकृष्ण आडवाणी का मानना है कि देश में असहिष्णुता का माहौल बढ़ रहा है। यह लोकतंत्र की भावना के विपरीत है। इस टिप्पणी का संदर्भ भी कम दिलचस्प नहीं है।
कुलकर्णी पर स्याही फेंकने वालों को उद्धव ठाकरे ने दी शाबाशी

कुलकर्णी पर स्याही फेंकने वालों को उद्धव ठाकरे ने दी शाबाशी

भाजपा के पूर्व नेता सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर सोमवार को कालिख पोतने वाले शिवसेना कार्यकर्ताओं को उद्धव ठाकरे ने घर बुलाकर शाबाशी दी है।
नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

भारत सरकार में इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व अधिकारी और विवेकानंद फाउंडेशन के फेलो आरएनपी सिंह को खुफिया से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में गहरा अनुभव है। उनकी राइट्स एंड रांग्स, बांग्लादेश डिकोडेड और हिंदी में दो पुस्तकें बहुत चर्चित रहीं। नेहरू: ए ट्रबल्ड लीगेसी से उन्होंने कुछ मौलिक सवाल उठाए हैं: क्या हमने कभी नेहरू के बारे में ईमानदारी से मूल्यांकन किया है और इस प्रभाव में क्या हमने देश के समकालीन इतिहास का निष्पक्ष मूल्यांकन किया है? इस पुस्तक में नेहरू के सिद्धांतवाद या अपने हित में दोहरे मानदंड अपनाने पर सवाल उठाए गए हैं।
पूर्व भारतीय फौजी की बेटी आईएस में शामिल होने को बेताब

पूर्व भारतीय फौजी की बेटी आईएस में शामिल होने को बेताब

एक भारतीय लड़की के आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में शामिल होने की खबर ने खुफिया एजेंसियों समेत लोगों को हैरत और चिंता में डाल दिया है। लड़की सेना के एक सेवानिवृत्त आलाधिकारी की बेटी बताई जा रही है।
मोदी सरकार के लिए नए आतंकी मोर्चे का पाठ

मोदी सरकार के लिए नए आतंकी मोर्चे का पाठ

27 जुलाई, 2015 दो झटके लेकर आया। पंजाब के गुरदासपुर में आतंकी हमला और पूर्व राष्ट्रपति 'मिसाइलमैन’ अब्दुल कलाम का निधन। कलाम का जाना एक दौर का अवसान था जबकि गुरदासपुर हमले की घटना आतंक के एक नए मोर्चे की शुरुआत।
अब मिस्र में आईएस का कहर, 60 मरे

अब मिस्र में आईएस का कहर, 60 मरे

मिस्र में अशांत सिनाई प्रायद्वीप में आईएस के हथियारबंद आतंकवादियों ने बुधवार को विभिन्न सैन्य चौकियों पर तीन आत्मघाती बम हमलों समेत एक साथ कई हमले किए जिनमें मिस्र के कम से कम 60 जवान मारे गए। यह इलाके में अब तक हुए सबसे बड़े हमलों में से एक है।
प्रफुल्ल बिदवईः जनपक्षधर पत्रकारिता की मिसाल

प्रफुल्ल बिदवईः जनपक्षधर पत्रकारिता की मिसाल

प्रफुल्ल बिदवई विलक्षण प्रतिभा के धनी पत्रकार, प्रवक्ता, बुद्धिजीवी और कार्यकर्ता थे। उनका अकस्मात हमारे बीच से चले जाना जनतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और शांति आंदोलनों के लिए एक बड़ा झटका है। आज के विपरीत समय में अपनी बेबाक शैली, सुव्यवस्थित विश्लेषण और दुस्साहस के स्तर तक जोखिम उठाने की क्षमता के चलते वे अनेक युवा और आदर्शवादी पत्रकारों के प्रेरणास्रोत रहे। उनकी वैज्ञानिक और संपूर्ण दृष्टि तथा ऐतिहासिक बोध, उनकी विश्लेषण क्षमता का मूल मंत्र रहा। इसी ने उन्हें हमेशा खास बनाए रखा और जीवनभर उनकी लेखनी की चमक यूं ही बनी रही।
तीस्ता सीतलवाड़ के संगठन की सीबीआई जांच

तीस्ता सीतलवाड़ के संगठन की सीबीआई जांच

एनजीओ की विदेशी फंडिंग पर शिकंजा कसने में जुटी केंद्र सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्‍ता सीतलवाड़ की कंपनी सबरंग कम्‍युनिकेशन के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं।
मौजूदा सरकार में विज्ञान की नासमझी: पीएम भार्गव

मौजूदा सरकार में विज्ञान की नासमझी: पीएम भार्गव

वह उम्र के उस पड़ाव में हैं, जहां कांपते हाथों के साथ लड़खड़ाती जुबान से लोग अपने बीते दिनों की उपलब्धियों को गिनते-गिनवाते हैं लेकिन उनका मामला अलग है। वह खुद ही पूछते हैं, बताओ मेरी उम्र कितनी है, फिर मेरे मौन को मेरी दुविधा समझकर खुद ही जवाब देते हैं, 86 साल। नहीं लगता न, अगर ये पार्किंसंस (हाथों-पैरों के स्वत: हिलने की बीमारी) न परेशान करता तो शायद बिल्कुल भी न लगता। पुष्प मित्र भार्गव (पी.एम.भार्गव) देश के आला वैज्ञानिक, बायोलॉजिस्ट हैं। उन्हें इस बात की फिक्र है कि अगर देश में जीन संवद्धित (जीएम) फसलों को मंजूरी मिल गई तो इससे किस तरह न सिर्फ पर्यावरण, खेती को नुकसान होगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को नुकसान होगा।
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