राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सहयोगी दलों लोकजनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार से दूर रखा है। जबकि इन दोनों दलों के प्रमुखों का प्रदेश के कुछ इलाकों खासकर पूर्वांचल में खासा पकड़ है। लेकिन भाजपा ने कुछ समीकरण को ध्यान में रखते हुए दोनों दलों को प्रचार से दूर रखा है।
तीन सांसदों और दो विधायकों वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) दो फाड़ हो गई। केंद्रीय मानव संसाधन विकास रायमंत्री उपेंद्र कुशवाहा गुट द्वारा प्रदेश अध्यक्ष पद से बर्खास्त किए गए सांसद डॉ. अरुण कुमार के गुट ने पार्टी की राष्ट्रीय समिति व राय परिषद का विशेष महाधिवेशन बुलाकर उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य को विशेष पैकेज क्या दिया यही पैकेज केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल राज्य के मंत्रियों के लिए बड़ा हथियार बन गया है। केंद्रीय मंत्री इसी पैकेज का जिक्रकर उपलब्धियों का बखान कर रहे हैं और राज्य सरकार को कोस रहे हैं कि विकास के लिए मिल रही धनराशि का राज्य उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में पिछड़ा वर्ग को मिले आरक्षण के एक मुद्दे ने देश की सियासत ही बदल दी। चुनाव के दौरान जिस तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा के बयान की जो मतदाताओं में प्रतिक्रिया हुई, उसे देखते हुए भाजपा और राजग के साथ खड़े पिछड़े वर्ग के नेता सियासी अहमियत समझ अब इस वर्ग के हितों की बात खुलकर करने लगे हैं। हालांकि भाजपा नेताओं ने बार-बार इस बात को दुहराया कि आरक्षण की समीक्षा नहीं की जाएगी लेकिन इसका खास सियासी असर नहीं पड़ा।
पहली बार मैं किसी मामले में अमित शाह से खुद को पूरी तरह सहमत पाता हूं। यह कि बिहार चुनाव केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों और कामकाज पर जनमत संग्रह नहीं है।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई। भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के नेताओं की बैठक में भाजपा ने साफ कर दिया कि वह 150 से 170 सीटों पर चुनाव लड़ेगी बाकी सीटें सहयोगी दलों के लिए रहेगी।