चर्चाः अमेरिकी बिजनेस में हिस्सेदारी। आलोक मेहता
वह जमाना गया, जब वचन देने वाले राजा-महाराजा बिना लिखा-पढ़ी हुए वायदा पूरा करने के लिए अपनी जान तक गंवाने को तैयार रहते थे। अब महाशक्तियां कूटनीतिक मित्रता ‘बिजनेस’ के लिए करती दिखती हैं। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के हाथ-गले मिलने और मीठी बातों से अभिभूत होने की गलती न की जाए।