केंद्र सरकार साइबर अपराध से निपटने के लिए एक अत्याधुनिक केंद्र की स्थापना करेगी। चाइल्ड पाॅर्नोग्राफी और आॅनलाइन उत्पीड़न से निपटना इस केंद्र की शीर्ष प्राथमिकता होगी।
वाणिज्य एवं उद्योग संगठन एसोचैम के एक अध्ययन में दावा किया है कि आॅनलाइन शापिंग के प्रति बढ़ते आकर्षण की वजह से शापिंग माॅल में 20 से 25 प्रतिशत स्थान खाली पड़ा है और उनका किराया भी 30 प्रतिशत तक घट गया है।
भारत में 857 पोर्न साइट के ब्लॉक किए जाने का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। हालांकि, अभी तक सरकार ने खुलकर स्वीकार नहीं किया कि ये पोर्न साइट किसके आदेश पर और क्यों ब्लॉक कराई गई हैं। लेकिन व्यक्तिगत आजादी पर हमला बताते हुए इस कदम की काफी आलोचना हो रही है। कुछ लोग इसे सरकार के 'स्वच्छ इंटरनेट अभियान' का नाम दे रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वयस्कों को उनके कमरों में पोर्न देखने से नहीं रोका जा सकता।
इंटरनेट जगत की दिग्गज कंपनी गूगल अपने सोशल नेटवर्क गूगल प्लस को अलविदा कहने की तैयारी कर रही है। चार साल पहले फेसबुक को टक्कर देने के लिए यह सोशल नेटवर्किंग सेवा शुरू की गई थी। लेकिन पिछले कई महीनों से कंपनी ने गूगल प्लस की उपयोगी फीचर को अलग सेवा के तौर पर डेवलप करना शुरू कर दिया है। कंपनी गूगल प्लस को गूगल की सभी गतिविधियों को केंद्र नहीं बनाना चाहती है।
यकीन करना आसान नहीं हैं। ये तीसेक साल से कुछ ज्यादा के नौजवान हैं, जिन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद अच्छी नौकरी हासिल भी की और फिर छोड़ भी दी। खुद का कारोबार शुरू किया और कामयाब भी हो गए। आज ये तेजी से बढ़ती ई-कॉमर्स कंपनी के मालिक हैं। मैंने पूछा मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी छोड़कर अपना काम शुरू करते हुए असफलता का डर नहीं लगा? आर्थिक दिक्कतें नहीं आईं? जवाब देखिए, ज्यादा से ज्यादा क्या होता वापस नौकरी करनी पड़ती। इतनी पढ़ाई और काम करने के बाद इतना भराेसा तो था कि भूखे मरने वाले नहीं हैं। इसलिए ज्यादा फ्रिक नहीं हुई।
मदर्स डे पर कराए गए एक सर्वेक्षण में खास बात सामने आई है। भारत के कई बड़े शहरों में एसोचैम द्वारा कराए गए सर्वे से यह बात निकल कर आई है कि बच्चे की किलकारी पर मां करिअर कुर्बान कर देती है। अच्छी पद, प्रतिष्ठा और पैसे वाली नौकरी भी उन्हें बच्चों की परवरिश और उसकी देखभाल के कर्तव्य से डिगा नहीं पाती है।
अस्पृश्यता यानी छूआछूत उन्मूलन के 65 साल बाद भी हर चार भारतीयों में एक अपने घरों में किसी न किसी रूप में छूआछूत का पालन करता है। चौंकाने वाला यह तथ्य एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण में सामने आया है जिसे यहां दलित बुद्धिजीवियों, लेखकों एवं विद्वानों की एक सम्मेलन में पेश किया गया।
महाराष्ट्र पर्यावरण विभाग उद्योगों और उनके खतरनाक अपशिष्ट के निपटान की जल्द ही ऑनलाइन निगरानी शुरू करेगा जिसके आधार पर इन इकाइयों के लाइसेंस के नवीकरण का निर्णय लिया जाएगा।