सलमान खान के प्रशंसकों से कभी मत पूछिए कि उनकी फिल्म कैसी थी। क्योंकि उनके लिए सलमान की फिल्म निष्ठा का प्रश्न ज्यादा होती हैं। इस बार ईद का सबसे पड़ा तोहफा बजरंगी भाईजान है। इस फिल्म में भी कमियां निकालना चाहें तो ढेर मिल जाएंगी। पर फिलहाल तो ध्यान इसी पर केंद्रित रखिए कि निर्माता (सलमान खान और राकलाइन वेंकटेश) के खाते में एक के आगे कितने शून्य जमा होंगे। मनमोहन देसाई मार्का यह फिल्म दर्शक बटोरेगी या नहीं यह तो प्रश्न ही बेमानी है।
हरफनमौला, बिंदास, दबंग, जिंदादिल या फिर दरियादिल, जैसे उपनाम उन्होंने नहीं बनाए बल्कि उनकी बढ़ती लोकप्रियता में खुद-ब-खुद ये सारे जुड़ते चले गए। ढाई दशक से ज्यादा वक्त बॉलीवुड में राज करने वाले सलमान भाई इस बार निर्देशक कबीर खान के साथ अपनी पहली होम प्रोडक्शन बजरंगी भाईजान के संग हाजिर हैं। हर दिल अजीज इस बेबाक अभिनेता ने महबूब स्टूडियो में पुरानी यादो में डूबते -उतरते अपनी इस लंबी अभिनय यात्रा के खटटे्-मीठे अनुभवों को बांटा।
तीनों खान बंधुओं को लेकर चाहे जितनी भी अफवाहें उड़ें लेकिन एक बात तो तय है कि वे तीनों कभी-कभी एक-दूसरे की तारीफ भी कर दिया करते हैं। इस बार आमिर खान ने कहा है कि वह बजरंगी भाईजान देखने के लिए इंतजार नहीं कर सकते।
बजरंगी भाईजान फिल्म के संगीत को जारी करते हुए हुए फिल्म के निर्देशक कबीर खान ने कहा कि अगर सलमान कश्मीर में शूटिंग कर सकते हैं तो कोई भी कर सकता है। अब इस कहने के मायने क्या हैं यह तो कबीर खान ही जानें। आखिर सलमान में ऐसा क्या है जो वह कश्मीर जाएंगे तो बाकी भी जा सकते हैं। खैर सलमान खान ने पहली बार घाटी में लंबे समय तक फिल्म की शूटिंग की और उनका अनुभव काफी अच्छा रहा।
रमजान का पवित्र महीना शुरू हो रहा है। यह मुकद्दस महीना खत्म होते-होते मीठी सेवइयों की खुशबू हवा में तैरने लगेगी। और एक बात जो फिजाओं में होगी वह है बजरंगी भाई जान के जलवे।
नंदिता दास यूं तो पहले भी दो बार जूरी के सदस्य के रूप में कान फिल्मोत्सव में शिरकत कर चुकी हैं। लेकिन इस बार वह फिल्में देखने या रेड कारपेट पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बजाय कुछ खास काम ले कर गई हैं।
सरकार द्वारा विधि आयोग के चेयरमैन ए पी शाह की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति के गठन की घोषणा के बाद वित्त मंत्रालय ने विदेशी निवेशकों से न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) की वसूली के लिए जोर जबर्दस्ती नहीं करने का फैसला किया है।
रवींद्रनाथ टैगोर के चर्चित उपन्यास ‘योगायोग’ पर एक संगीतमय फिल्म बनाई गई है। निर्देशक शेखर दास ने मीरा के भजनों और भारतीय शास्त्रीय रागों को आधार बना कर फिल्म बनाई है। इस फिल्म के लिए खास तौर पर बॉलीवुड की प्रसिद्ध गायिका श्रेया घोषाल और शास्त्रीय गायिका कौशिकी चक्रवर्ती ने भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित गानों में अपनी आवाजें दी हैं।