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Search Result : "करिश्मा देव दुबे की बिट्टू"

लुशिन मंच पर लाएंगी अरूणा की कहानी

लुशिन मंच पर लाएंगी अरूणा की कहानी

अरुणा शानबाग की मृत्यु ने सभी को झकझोरा है। बयालीस साल कोमा में रही अरुणा शानबाग की पिछले दिनों मुंबई के केइएम अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। उन्हीं अरुणा शानबाग के जीवन पर प्रख्यात रंगकर्मी लुशिन दुबे का अगला नाटक होगा। इससे पहले पत्रकार पिंकी विरानी ने अरुणा शानबाग स्टोरी नाम से किताब भी लिखी थी। यह नाटक उसी किताब पर आधारित होगा।
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान क्लाइव राइस का निधन

दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान क्लाइव राइस का निधन

पूर्व आलराउंडर और दक्षिण अफ्रीका की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के बाद उसके पहले कप्तान क्लाइव राइस का आज निधन हो गया। वह 66 साल के थे।
बिट्टू शर्मा के परिवार की विदाई

बिट्टू शर्मा के परिवार की विदाई

बिट्टू शर्मा के नाम से टीवी पर चर्चित हो चुके कपिल शर्मा का कुनबा अब कुछ कुछ दिन नजर नहीं आएगा। हालांकि खबर आई है कि कपिल नासाज हैं सो कुछ दिन टीवी से ब्रेक लेंगे। लेकिन यदि कपिल शो नहीं करेंगे तो उनकी टीम यानी कुनबा भी जाहिर सी बात है टीवी पर नहीं आएगा।
वाणी का 51वां स्थापना दिवस

वाणी का 51वां स्थापना दिवस

वाणी प्रकाशन के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स में ‘एथनोग्रफिक-हिस्ट्री-ऑफ-बुक्स बनाम कहानी-किताब-की’ कार्यक्रम हुआ। वक्ताओं में आशीष नंदी, मृणाल पांडे और अभय कुमार दूबे थे। कार्यक्रम की शुरुआत वाणी के निदेशक अरुण महेश्वरी ने की। यह कार्यक्रम वाणी प्रकाशन के इक्क्यावनवें स्थापना दिवस पर आयोजित किया गया था।
सनी को ऐश्वर्या से तुलना पसंद नहीं

सनी को ऐश्वर्या से तुलना पसंद नहीं

सनी लियोन को एश्वर्या राय बच्चन से अपनी तुलना पसंद नहीं है। सनी कहती हैं कि ढोल बाजे बोल वाले गीत पर उन्होंने डांस किया है लेकिन वह जानती हैं कि यह गाना एश्वर्या के मूल सुपरहिट गाने का कोई मुकाबला नहीं कर सकता है।
रवि की खुदकुशीः अधिकारियों की ईमानदारी का जोखिम

रवि की खुदकुशीः अधिकारियों की ईमानदारी का जोखिम

पहले राजमार्ग ठेकेदारी में धांधली में गई सत्येंद्र दुबे की जान, फिर पेट्रोलियम पदार्थों में मिलावट की साजिश का पर्दाफाश करने वाले मंजूनाथ और अब रेत माफिया की प्रताड़ना से आजिज आकार कर्नाटक के एक और आईएएस अधिकारी डी. के. रवि ने खुदकुशी कर ली।
एक धीमी सी याद

एक धीमी सी याद

उनकी मुंदी आंखों के नीचे अंधेरे की गाढ़ी परत बिछी हुई थी। सरकारी अस्पताल के उस आईसीयू में गुजरे जमाने के मशहूर गवैए उस्ताद इकराम मुहम्मद खान को उनकी जिंदगी आखरी सलामी देने की तैयारी कर रही थी।
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