Advertisement

Search Result : "करोड़ों खर्च"

कर्नाटक में सीएम के बेटे से जुड़ी कंपनी को करोड़ों का ठेका

कर्नाटक में सीएम के बेटे से जुड़ी कंपनी को करोड़ों का ठेका

दक्षिण भारत के राज्यों में पिता के सत्ता में आते ही बेटों की चांदी होने वाली बात खूब प्रचलित है। आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी का उदाहरण सबके सामने ही है। नई सूचना कर्नाटक से है जहां कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे डॉक्टर यतींद्र सिद्धारमैया को दो साल पहले अपने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल करने वाली कंपनी मेट्रिक्स इमेजिंग सॉल्यूसंश को पिछले साल राज्य सरकार से करोड़ों का ठेका हासिल हो गया।
जौहरियों की हड़ताल से करोड़ों का नुकसान

जौहरियों की हड़ताल से करोड़ों का नुकसान

देश भर के आभूषण निर्माता एवं व्यापारी गैर चांदी वाले आभूषणों पर एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाए जाने तथा 2 लाख रुपये और इससे अधिक के सौदे के समय ग्राहकों द्वारा पैन संख्या बताना अनिवार्य किए जाने का विरोध कर रहे हैं। एक माह से अधिक समय से जौहरी हड़ताल पर हैं लेकिन सरकार इस मामले में कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है।
चर्चाः खजाने की उदारता और कंजूसी | आलोक मेहता

चर्चाः खजाने की उदारता और कंजूसी | आलोक मेहता

सरकारी खजाने से कल्याण की उम्मीद सदा रहती है। सत्ताधारी कांग्रेस हो अथवा भाजपा या आम आदमी पार्टी, हर वर्ष बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री जन-हित और सुविधाओं के लिए विभिन्न मदों में उदारतापूर्वक करोड़ों रुपयों का प्रावधान कर देते हैं। लेकिन साल के अंत में बही-खाता खोलने पर पता चलता है कि कई विभागों के लिए रखी गई धनराशि का बड़ा हिस्सा खर्च ही नहीं हुआ।
एसिड हमले के ईलाज का पूरा खर्च देगी राज्य सरकार: बादल

एसिड हमले के ईलाज का पूरा खर्च देगी राज्य सरकार: बादल

पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि गुरदासपुर जिले में एसिड हमले की शिकार महिला के ईलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी और आगे ईलाज के लिए उसे फोर्टिस अस्पताल लुधियाना के बर्न यूनिट में भेजा जाएगा।
बंगाल में चुनाव खर्च सीमा को धता बताने का रोडमैप

बंगाल में चुनाव खर्च सीमा को धता बताने का रोडमैप

चुनाव आयोग डाल-डाल और राजनीतिक पार्टियां पांत-पांत। बंगाल के विधानसभा चुनाव में जिस तरह से सरगर्मी दिख रही है, उससे साफ है कि पैसा पानी की तरह बहाने की तैयारी है और राजनीतिक दलों ने इसके रास्ते पहले से ही तैयार कर रखे हैं। चुनाव आयोग के मापदंडों के हिसाब से पार्टियां चलें तो एक राजनीतिक दल अधिकतम 82 करोड़ रुपए खर्च कर पाएगा। लेकिन तैयारी इससे कई गुना ज्यादा उड़ाने की है।
चर्चाः धन जनता का, चमके चेहरे मंत्रियों के | आलोक मेहता

चर्चाः धन जनता का, चमके चेहरे मंत्रियों के | आलोक मेहता

रेडियो पर एक गाना बहुत बजता है- ‘चेहरा न देखो, चेहरे ने लाखों को लूटा।’ यों यह गीत प्यार-मोहब्बत से जुड़ा है। लेकिन नेताओं-मंत्रियों के लिए इन शब्दों के अलग-अलग अर्थ लगाए जाते हैं। भोली भाली जनता चेहरे और वायदे पर वोट दे देती है। फिर खून-पसीने की मेहनत की कमाई का एक हिस्सा टैक्स के रूप में सरकारी खजाने को देती है। इसी सरकारी खजाने की रकम से सरकार में बैठे प्रभावशाली नेता-मंत्री अपना चेहरा चमकाए रखना चाहते हैं।
दस साल में मनरेगा में  3.13 लाख करोड़ रुपये खर्च, भ्रष्टाचार बाधक बनकर उभरा

दस साल में मनरेगा में 3.13 लाख करोड़ रुपये खर्च, भ्रष्टाचार बाधक बनकर उभरा

गांव के हालात बदलने और लोगों के लिए रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करने के उद्देश्य वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के कल 10 वर्ष पूरे होंगे। इस योजना पर अब तक 3.13 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। हालांकि उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, छत्तीसगढ़, मणिपुर जैसे कई राज्यों में इस योजना के कार्यान्वयन को लेकर भ्रष्टाचार एवं अनियमिताताओं की शिकायतें बाधक के रूप में उभर कर सामने आई हैं।
तो शुगर की जांच एक रुपये के खर्च में होगी

तो शुगर की जांच एक रुपये के खर्च में होगी

भारत में चिकित्सा शोध की स्थिति हमेशा विकसित देशों के मुकाबले पिछड़ी रही है। कई गंभीर बीमारियां पूरे देश में फैल जाती हैं और उसपर नियंत्रण में खासा समय लग जाता है। ऐसे में देश में चिकित्सा शोध के लिए जिम्मेदार सरकारी विभाग चिकित्सा अनुसंधान विभाग (डीएचआर) एवं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) पर बड़ी जिम्मेदारी आती है। आउटलुक ने आईसीएमआर की उपलब्धियों एवं चुनौतियों के बारे में परिषद की महानिदेशक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन से विस्तृत बातचीत की। पेश हैं अंशः
मुसलमानों पर अरबों खर्च लेकिन हालात बद से बद्तर

मुसलमानों पर अरबों खर्च लेकिन हालात बद से बद्तर

भारत में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक है मुसलमान। मगर सबसे बड़ा यह अल्पसंख्यक संपन्न अल्पसंख्यक नहीं है। उसे 68 साल से लगातार बैसाखियों की जरूरत पड़ती रही है, मगर उसे अक्सर यह बैसाखी या तो टूटी हुई मिली है या मिली ही नहीं। सवा 12 साल पिछले और डेढ़ साल इस सरकार का छोड़ दें तो आजाद भारत करीब 54 साल ऐसे गुजरे हैं जब देश की सत्ता कांग्रेस के हाथों में रही है। सबसे बड़े अल्पसंख्यक मुसलमान को ज्यादातर जो बैसाखी मिली हैं वह इसी कांग्रेस के राज में दी गईं, तो मुसलमान की हालत इतनी खराब क्यों है।
इन्फोसिस की इस ‘पुनीत’ कृपा के पीछे यह वजह तो नहीं है

इन्फोसिस की इस ‘पुनीत’ कृपा के पीछे यह वजह तो नहीं है

क्या ये महज संयोग है कि वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) द्वारा 1380 करोड़ रुपये का ठेका मिलने के महज चार महीने बाद ही आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी इन्फोसिस ने केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा की पत्नी पुनीता कुमार सिन्हा को अपने निदेशक मंडल में स्वतंत्र निदेशक के रूप में शामिल कर लिया।
Advertisement
Advertisement
Advertisement