व्हाइट हाउस का कहना है कि राष्टपति बराक ओबामा के शासनकाल में भारत-अमेरिका संबंधों में मजबूती आई है। यह आशा जताई गई है कि डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भी यह गर्मजोशी बनी रहेगी।
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आज कहा कि नोटबंदी का फैसला सोच विचार कर लिया हुआ नहीं लगता है। इसका असर उम्मीद से ज्यादा लंबे समय तक बना रह सकता है। उन्होंने फैसले पर आश्चर्य जताते हुए सवाल उठाया कि सरकार ने यह निर्णय लेने से पहले क्या अपने मुख्य आर्थिक सलाहकार से विचार विमर्श किया था।
दुनियाभर को चौंकाने वाले नतीजे में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अपनी डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को हराकर अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हो गए। उनकी जीत ने आतंकवाद से निपटने, आव्रजन और घरेलू नौकरियों को बचाने पर उनके कड़े रख के चलते अन्य देशों के साथ अमेरिका के समीकरणों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मोदी सरकार को राज्यों के साथ भरोसे का संवाद बनाने की सलाह देते हुए जाने माने चिंतक के एन गोविंदाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार के ढाई साल के काम में कुछ कर दिखाने का इरादा झलकता है और प्रधानमंत्री काफी परिश्रम कर रहे हैं लेकिन परिणाम आने में अभी समय लगेगा।
ए दिल है मुश्किल की निर्विघ्न रिलीज का मार्ग आज प्रशस्त हो गया क्योंकि उसके निदेशक करण जौहर ने प्रोड्यूसर्स गिल्ड के अध्यक्ष मुकेश भट्ट के साथ जाकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस से भेंट की और उन्हें आश्वासन दिया कि उड़ी हमले के बाद देश में जनभावना को दखते हुए फिल्मकार पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम नहीं करेंगे।
जीवन के 74 वसंत पूरे करने वाले हिंदी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन ने आज कहा कि यह अपने देश के सैनिकों के साथ एकजुटता प्रकट करने का समय है जो सीमा पर आतंकी हमलों का सामना कर रहे हैं।
मैग्सायसाय पुरस्कार विजेता टी एम कृष्णा ने हाल ही में उठी पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध की मांगों की ओर इशारा करते हुए आज कहा कि देश में डर का माहौल है। कर्नाटक संगीत से जुड़े गायक कृष्णा ने उत्तराखंड के रामनगर में कुमायूं साहित्योत्सव (केएलएफ) में अपने व्याख्यान में यह बात कही।
उद्योग जगत ने भारतीय सेना द्वारा नियंत्रण रेखा के पार जाकर आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के कदम का पूरा समर्थन करते हुए आज कहा कि यह कड़ी कार्रवाई का समय है।
भारतीय जनता पार्टी अपने नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की शताब्दी के अवसर पर राष्ट्रीय परिषद में भविष्य की दशा-दिशा तय कर रही है। दीनदयालजी कांग्रेस और पंडित नेहरू की विचारधारा से कई अहसमतियां रखते थे और कम्युनिस्टों के तो बिल्कुल विरोधी थे। लेकिन भारतीय जनसंघ (जो एक बार जनता पार्टी में विलय के बाद पुनः भारतीय जनता पार्टी बन गई) के लिए भी दीनदयाल उपाध्याय सामाजिक-आर्थिक समानता, ग्रामीण अंत्योदय, राजनीतिक ईमानदारी, त्याग, सत्ता में दंभ के बजाय जनता की सेवा और समर्पण के विचारों को बढ़ाना चाहते थे।