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Search Result : "कितनी है कीमत"

किस से कितनी जमीन खरीदी प्रियंका गांधी ने

किस से कितनी जमीन खरीदी प्रियंका गांधी ने

हरियाणा में जमीनों की खरीद-फरोख्त को लेकर अगर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा विवादों में हैं तो हिमाचल में जमीन खरीदकर घर बनाने को लेकर सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी विवादों में रहती हैं। स्थानीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी अक्सर यह मुद्दा उठाती रहती है। गौरतलब है कि शिमला के पास छराबड़ा में प्रियंका गांधी का दो मंजिला घर बन रहा है। जिसका काम तेजी से चल रहा है।
जंग-केजरी विवादः किसके पास कितनी ताकत

जंग-केजरी विवादः किसके पास कितनी ताकत

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार और उपराज्यपाल के बीच विवाद गहराता जा रहा है। मुख्यमंत्री अपनी ताकत दिखाना चाह रहे हैं तो उपराज्यपाल अपनी। इस जोर-आजमाइश के खेल में अधिकारियों को मोहरा बनाया जा रहा है। दोनों ही तरफ से आदेश जारी किए जा रहे हैं। जिससे लेकर दिल्ली में संवैधानिक संकट खड़ा होता दिख रहा है। दिल्ली सरकार ने संविधान विशेषज्ञों से भी राय लेनी शुरू कर दी है।
अम्मा के प्रेम में खुदकुशी की कीमत सात करोड़

अम्मा के प्रेम में खुदकुशी की कीमत सात करोड़

अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता ने अदालत से सजा सुनाए जाने के बाद खुदकुशी करने वाले अपने समर्थकों के परिजनों को सात करोड़ रुपये देने का एलान किया है।
आडवाणी की उपेक्षा कितनी जायज?

आडवाणी की उपेक्षा कितनी जायज?

भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों अपने बुजुर्ग नेताओं की उपेक्षा का दौर चल रहा है। पहले बेंगलुरू में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लालकृष्‍ण आडवाणी को बोलने का अवसर नहीं दिया गया जबकि इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि आडवाणी कार्यकारिणी की बैठक में हों और उनका संबोधन न हुआ हो।
दस रुपये में मिलेगा अब प्लेटफार्म टिकट

दस रुपये में मिलेगा अब प्लेटफार्म टिकट

रेलवे ने प्लेटफार्म टिकटों की कीमत को बढाकर दस रूपये कर दिया है और नयी दर एक अप्रैल से लागू हो जायेगी। रेल मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक एक अप्रैल 2015 से प्लेटफार्म टिकटों की कीमत प्रति टिकट पांच रूपये से बढ कर दस रूपये हो जायेगी। इसके लिए सभी विभागों को आवश्यक निर्देश दे दिए गए हैं।
मौत की कितनी परतें

मौत की कितनी परतें

पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के एक साल बाद दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने यह खुलासा किया कि सुनंदा ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उनकी हत्या हुई।
बर्बर प्रदेश में कितनी उम्मीद

बर्बर प्रदेश में कितनी उम्मीद

राष्‍ट्र¬भाषा होने का दावा करने वाली हिंदी के मीडिया से तो इसी राष्‍ट्र का हिस्सा माना जाने वाला मणिपुर अमूमन गायब ही होता है और उत्तर पूर्व में असम अगर यदा-कदा चर्चा में आता भी है तो बिहारियों, झारखंडियों पर उग्रवादी हमले के कारण या अरूणाचल प्रदेश की चर्चा होती है तो चीनी दावेदारी के हंगामें के कारण। हिंदी के एक्टिविस्ट संपादक प्रभाष जोशी के निधन के बाद की चर्चा में यह प्रसंग जरूर आया कि वह 5 नवंबर को नागरिकों की एक टीम के साथ मणिपुर जाना चाहते थे लेकिन यह टीम मणिपुर की जिन उपरोक्त परिस्थितियों के बारे में एक तथ्यान्वेषण मिशन पर वहां जा रही थी उसका जिक्र ओझल ही रहा। और जिस ऐतिहासिक अवसर पर यह टीम मणिपुर जा रही थी उसका जिक्र तो भला कितना होता? यह ऐतिहासिक अवसर था 37 वर्षीय इरोम शर्मिला के आमरण अनशन के दसवें वर्ष में प्रवेश का। गांधी और नेल्सन मंडेला की जीवनी सिरहाने रखे बंदी परिस्थितियों में इंफाल के एक अस्पताल में अनशनरत अहिंसक वीरांगना के नाक में टयूब के जरिये जबरन तरल भोजन देकर सरकार जिंदा रखे हुए है। अपढ़ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पिता और अपढ़ माता की नौवीं संतान शर्मिला सन 2000 में असम राइफल्स के जवानों पर बागियों की बमबारी के जवाब में सशस्त्र बलों द्वारा एक बस स्टैंड पर 10 निर्दोष नागरिकों को भूने जाने की खबरें अखबारों में पढक़र और तस्वीरें देखकर तथा उन सुरक्षाकर्मियों को सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के कारण सजा की कोई संभावना न जानकर इतना विचलित हुई कि उन्होंने इस तानाशाही कानून के खिलाफ आमरण अनशन का फैसला ले लिया।
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