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मुख्यमंत्री के पैर धोकर पीना चाहते हैं किसान: कैलाश विजयवर्गीय

मुख्यमंत्री के पैर धोकर पीना चाहते हैं किसान: कैलाश विजयवर्गीय

जहां किसानों का गुस्सा शिवराज सरकार की नीतियों पर जमकर फूटा है वहीं भाजपा के बड़े नेता कैलास विजयवर्गीय का विवादित बयान आया है। विजयवर्गीय ने कहा कि किसान मुख्यमंत्री के पैर धोकर पीना चाहते हैं।
मध्य प्रदेश किसान आंदोलन: योगेन्द्र यादव, मेधा पाटेकर और स्वामी अग्निवेश हिरासत में

मध्य प्रदेश किसान आंदोलन: योगेन्द्र यादव, मेधा पाटेकर और स्वामी अग्निवेश हिरासत में

किसान आंदोलन के दौरान मध्य प्रदेश गए सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र यादव, मेधा पाटेकर और स्वामी को अग्निवेश को हिरासत में लिया गया।
किसान यूनियन ने किया आंदोलन समाप्ती से इंकार, जंतर-मंतर पर करेंगे महापंचायत

किसान यूनियन ने किया आंदोलन समाप्ती से इंकार, जंतर-मंतर पर करेंगे महापंचायत

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मंच पर भारतीय किसान यूनियन के महामंत्री ने भले ही आंदोलन समाप्त करने का ऐलान कर दिया हो लेकिन यूनियन की कार्यकारिणी ने इसका खंडन किया है। ऐसे में सीएम शिवराज की मुसीबतें बढ़ती दिखाई दे रही है।
शांति बहाली के लिए सीएम शिवराज सिंह ने किया अनशन शुरू

शांति बहाली के लिए सीएम शिवराज सिंह ने किया अनशन शुरू

मदसौर के किसानों के आंदोलन से चौतरफा घिरे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को दशहरा मैदान पर बेमियादी अनशन शुरू किया तथा किसानों को समस्याओं पर चर्चा के लिए खुला न्यौता दिया। करीब 45 मिनट तक दिए भाषण में मुख्यमंत्री ने एक भी बार कांग्रेस का नाम नहीं लिया। इस बीच प्रदेश के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि किसानों के कर्ज माफ करने का कोई सवाल ही नहीं उठता, मैं पहले भी इसके पक्ष में नहीं था और अब भी नहीं हूं। तो वहीं विपक्षी कांग्रेस ने अनशन को राजनैतिक ड्रामा बताया।
किसानों की कर्ज माफी पर मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री का इंकार

किसानों की कर्ज माफी पर मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री का इंकार

मध्य प्रदेश में जारी आंदोलन के बीच एक ओर जहां सीएम शिवराज सिंह चौहान राज्य में शांति बहाली के लिए अनशन पर बैठे हैं। तो वहीं, दूसरी ओर कृषि मंत्री गौरी शंकर बिसेन का कहना है कि वह किसानों के कर्ज माफी के पक्ष में नहीं हैं। प्रदेश में किसान कर्ज माफी को लेकर पिछले कई दिनों से हिंसक आंदोलन जारी है।
मंदसौर में पुलिस की पिटाई से घायल किसान की मौत, रायसेन में एक ने की खुदकुशी

मंदसौर में पुलिस की पिटाई से घायल किसान की मौत, रायसेन में एक ने की खुदकुशी

मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत के बाद से जारी हिंसक विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब हिंसक प्रदर्शन मालवा क्षेत्र के अन्य जिलों में भी फैलने लगा है। अब शाजापुर-सीहोर में आंदोलनकारी उग्र हो गए जिसके चलते पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी। वहीं रायसेन तहसील के देगांव थाना क्षेत्र में किसान ने सल्फास की गोली खाकर की आत्महत्या कर ली।
यूपी में हो सकते हैं मंदसौर जैसे हालात, किसानों ने चेताया

यूपी में हो सकते हैं मंदसौर जैसे हालात, किसानों ने चेताया

अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो मध्यप्रदेश की तरह यूपी में भी आलू की खेती करने वाले व गन्ना किसानों का गुस्सा फूट सकता है। किसान संगठनों ने इसके लिए चेतावनी दी है।
किसान यूनियन ने सरकार को चेताया- ‘किसान नेताओं को रिहा करें, नहीं तो करेंगे देशभर में चक्का जाम’

किसान यूनियन ने सरकार को चेताया- ‘किसान नेताओं को रिहा करें, नहीं तो करेंगे देशभर में चक्का जाम’

मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों पर हुई फायरिंग और किसान नेताओं की गिरफ्तारी को लेकर भारतीय किसान यूनियन ने केन्द्र सरकार को चेतावनी दी है। भारतीय किसान यूनियन का कहना है कि मध्य प्रदेश के किसानों से वार्ता कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए और सभी किसान नेताओं की रिहाई हो। ऐसा न होने पर यूनियन ने उत्तर भारत के राज्यों में अनिश्चितकालीन चक्काजाम की बात कही है।
कैसे नाकाम हुई किसान आंदोलन को दबाने की शिवराज की रणनीति?

कैसे नाकाम हुई किसान आंदोलन को दबाने की शिवराज की रणनीति?

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र दोनों ही राज्यों में, भाजपा सरकारों ने विरोध करने वाले किसानों से निपटने के लिए समान रणनीतियां इस्तेमाल की। उनकी सोच थी की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संबद्ध संगठनों के साथ एक समझौता करके आंदोलन में फूट दाल दें।
मध्य प्रदेश में कैसे बेकाबू हुआ किसान आंदोलन, कहां हुई चूक

मध्य प्रदेश में कैसे बेकाबू हुआ किसान आंदोलन, कहां हुई चूक

एक जून को दो राज्यों में एक साथ किसान आंदोलन के लिए सड़कों पर उतर आए। दोनों ही राज्यों में किसान ने शहरों में जाने वाले दूध और सब्जी समेत अन्य उत्पाद भी रोक दिया या फिर फल सड़कों पर फेंक दिए और दूध सड़कों पर बहा दिया। मध्य प्रदेश के मलावा और निमाड़ में आंदोलन उग्र होता चला गया। पुलिस पर पत्थर फेंके और वाहन जला डालना जैसी घटनायें आम होती चली गयी।
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