मध्यप्रदेश में एक और किसान कर्ज से परेशान होकर कथित रूप से खुदकुशी कर ली है, जिसके बाद प्रदेश में बीते 10 दिनों में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है।
सभी किसानों की कर्जा माफी और फसल का न्यूनतम समर्थम मूल्य (एसएमपी) के मुद्दों पर देशभर के किसानों में अलख जगाने के लिए मध्यप्रदेश के मंदसौर से छह जुलाई को जनजागृति यात्रा निकाली जाएगी और यह यात्रा दो अक्तूबर को महात्मा गांधी के किसान आंदोलन की सौवीं वर्षगांठ पर बिहार के चंपारण में समाप्त होगी। यह फैसला शुक्रवार को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में जुटे करीब 130 किसान संगठनों ने सर्वसम्मति से लिया। इस यात्रा को अंजाम देने के लिए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का गठन किया गया है। इतनी बड़ी संख्या में किसानों के संगठन का एकसाथ जुटना किसान एकता की दिशा में एतिहासिक कदम माना जा रहा है। समजा जाता है कि किसानों की इस तरह एकजुटता लंबे अर्से बाद दिखाई दी है।
किसान आंदोलन को आगे बढ़ाने की रणनीति बनाने के लिए देशभर से आए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान में बैठक की। बैठक के दौरान किसानों में बढ़ती खुदकुशी और मंदसौर में मारे गए किसानों का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। साथ ही सरकार से सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य और कर्जमाफी की मांग करते हुए देशभर के किसानों से एकजुट होने का अह्वान किया गया है।
अब किसान किसान आंदोलन की आग हरियाणा पहुंच गई है। आज हरियाणा में कांग्रेस किसानों के मसले पर महापंचायत करेगी, तो वहीं कई संगठनों ने हाईवे जाम का ऐलान किया है।
कई राज्यों में किसान आंदोलन चल रहा है। किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इसी के मद्देनजर मार्क्सवाद कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर संसद के मानसून सत्र में किसानों के लिए कानून बनाने की मांग की है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर नोटबंदी को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। ममता ने कहा कि देशभर के किसानों के सामने जो आर्थिक संकट पैदा हुए हैं, उसके लिए नोटबंदी जिम्मेदार है।
मध्य प्रदेश में एक कार्यक्रम के दौरान दो भाजपा नेताओं की आपस में जमकर बहस हुई। दिलचस्प बात यह है कि यह वाकया भी तब हुआ जब 'सबका साथ, सबका विकास' कार्यक्रम में दोनों नेता शिरकत करने पहुंचे थे।
एक ओर जहां किसान कृषि उत्पादों का उचित दाम नहीं मिल पाने की चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं, वहीं अब इसकी बानगी आंकड़ों में भी दिखाई देने लगीं हैं। मई माह में महंगाई दर 3.85 फीसदी के मुकाबले घटकर 2.17 फीसदी हो गई है। इस दौरान खाद्य एवं कृषि उत्पादों की महंगाई दर में भारी कमी दर्ज की गई है।