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गंगा, गाय देश की पहचान, गोहत्या बंदी पर बने केंद्रीय कानून: गोविंदाचार्य

गंगा, गाय देश की पहचान, गोहत्या बंदी पर बने केंद्रीय कानून: गोविंदाचार्य

आजादी के बाद से सरकारों की गलत नीतियों के कारण भारतीय नस्ल के गोवंश के खतरे में पड़ने का आरोप लगाते हुए जाने माने चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने आज गोवंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की और कहा कि इस बारे में केंद्रीय कानून बने।
संविधान बदलने के लिए संसद जरूरी नहीं: गोविंदाचार्य

संविधान बदलने के लिए संसद जरूरी नहीं: गोविंदाचार्य

ज्यादा दिन नहीं बीते जब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने आउटलुक (अंग्रेजी) से बातचीत में कहा था कि संविधान निर्माण में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की सीमित भूमिका था। अब राय के करीबी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक तथा भाजपा के पूर्व नेता के.एन. गोविंदाचार्य ने एक और विवाद को जन्म देते हुए कहा है कि जरूरी नहीं है कि संविधान में परिवर्तन संसद के जरिये ही हो।
गांव में मधुमेह और टीबी का प्रकोप

गांव में मधुमेह और टीबी का प्रकोप

देश की करीब 70 प्रतिशत आबादी गांव में निवास करती है और छोटी छोटी बीमारियों के उपचार के लिए लोगों को कर्ई कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। गांव देहात में स्वास्थ्य केंद्रों एवं डॉक्टरों की भारी कमी है, वहीं देश में मधुमेह, टीबी से प्रभावित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। ऐसे में पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य केंद्रों का व्यवस्थित नेटवर्क बनाने, पर्याप्त कोष देने एवं डॉक्टरों की तैनाती सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
गायें फिर से पशु हो जाना चाहती हैं !

गायें फिर से पशु हो जाना चाहती हैं !

गाय को पवित्र कब से माना गया और क्यों माना गया, यह व्यापक विवाद और विमर्श का विषय है। इस बात पर भी भयंकर मतभेद है कि प्राचीन सभ्यताएं गोमांस को स्वीकृति देती थीं और भारत के आदिकालीन निवासी अपने खान-पान में उसे शामिल करते थे। आर्ष ग्रंथों में आई उन बातों को भी अब कोई नहीं सुनता है कि किसी जमाने में गौमेध यज्ञ भी हुआ करते थे। अब जब गाय को पवित्र मान कर उसे मां का दर्जा दे ही दिया गया है और उसे आस्था की वस्तु बनाकर आलोचना से परे रख दिया गया है तो उस पर बहस की कोई गुंजाईश रही ही कहां है। अब तो ‘वन्दे धेनुमातरम‘ और ‘जय गोमाता‘ कहो, गोकथा कराओ, गोदूध महोत्सव मनाओ, गोशाला चलाओ, गोमंदिर बनाओ, गोकुल धाम निर्मित करो और गोअनुसंधान एवं गोरक्षा के नाम पर तरह-तरह के संगठन और सेनाएं बनाकर जमकर हंगामा मचाओ। आज गाय के नाम पर सब कुछ जायज है क्योंकि गाय हमारी माता है, गाय की रक्षा करना हमारा धर्म है, यह पुण्य का काम है।
असहिष्‍णुता के खिलाफ अब इतिहासकारों ने उठाई आवाज

असहिष्‍णुता के खिलाफ अब इतिहासकारों ने उठाई आवाज

देश में अत्यंत खराब माहौल से उत्पन्न चिंताओं पर कोई आश्वासनकारी बयान न देने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आज 50 से अधिक इतिहासकारों ने आवाज उठाई। दादरी और कलबुर्गी की हत्या जैसी घटनाओं पर लेखकों, कलाकारों, फिल्म निर्माताओं और वैज्ञानिकों के बाद अब देश के इतिहासकारों ने भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई ।
मत हथियाइए कृषि भूमि और चरागाह

मत हथियाइए कृषि भूमि और चरागाह

भूमि अधिग्रहण विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है, हालांकि भारी विरोध को देखते हुए मोदी सरकार सहमति, मुआवजे और निजी क्षेत्र के लिए अधिग्रहण के प्रावधानों पर थोड़ी नरम पड़ी। अब गेंद राज्य सभा के पाले में है। जहां विपक्ष का बहुमत है। विपक्ष और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के शिवसेना जैसे सहयोगी, विधेयक के विरोध की जमीन पर बने रहें चाहें तो आपसी सहमति अथवा दोनों पक्षों की थोड़ी नरमी से विधेयक पारित हो जाए। इस मसले पर कई मत हैं। थोड़े और संशोधनों के पक्षधर तो कुछ इस विधेयक को पूरी तरह नकार देने के। भाजपा की विचारधारा वाले के. एन. गोविंदाचार्य भी इस मसले पर भाजपा सरकार से अलग राय रखते हैं। अण्णा हजारे और उनके सहयोगी संगठनों को मोदी सरकार की नई भूमि अधिग्रहण नीति के विरोध में गोलबंदी के लिए प्रेरित करने में गोविंदाचार्य ने अहम भूमिका निभाई है।
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