देश में प्राथमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा से लेकर तकनीकी शिक्षा पद्धति के विरोधाभास एवं दुविधा की स्थिति के बीच एक बेहतर कल की आस में कोचिंग संस्थाओं के जंजाल में फंसे छात्रों द्वारा आत्महत्या का सिलसिला बदस्तूर जारी है, ऐसे में कोचिंग संस्थानों के नियमन के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग तेज हो गई है।
जिसका मन करता है, वह चार कुर्सी-टेबल लगा कर कोचिंग सेंटर खोल लेता है क्योंकि हमारे देश में स्कूल खोलना मुश्किल काम है। स्कूल खोलने के लिए कई औपचारिकताएं होती हैं, जिसे हर कोई पूरा नहीं कर सकता है लेकिन निजी कोचिंग सेंटर के लिए कुछ नहीं करना होता। इसके लिए देश में कोई रेगुलेटरी बोर्ड नहीं। कोचिंग सेंटर्स शिक्षा का रैकेट और संगठित माफिया है। इनके बड़े-बड़े होर्डिंग्स, विज्ञापन छात्रों को आकर्षित करते हैं। शिक्षकों को लगता है कि स्कूल या कॉलेज में क्यों पढ़ाना? वे स्कूल-कॉलेज में वे ट्रिक्स नहीं देते जो कोचिंग सेंटर में देते हैं। कोई नहीं जानता कि देश में कितने कोचिंग इंस्टीट्यूट्स हैं, ये सालाना कितने करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं।