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क्या मध्यवर्ग को गैस सब्सिडी और सांसदों को सस्ता खाना मिलना चाहिए ?

क्या मध्यवर्ग को गैस सब्सिडी और सांसदों को सस्ता खाना मिलना चाहिए ?

पिछले साल भर में दस लाख से ज्यादा भारतवासियों ने स्वेच्छा से अपनी रसोई गैस सब्सिडी छोड़ी। एक विकासशील देश में मोदी सरकार ने इन लोगों को इसके लिए प्रेरित करने का अभियान यह कहते हुए छेड़ा कि पैसा ज्यादा जरूरतमंद लोगों तक पहुंचना चाहिए। सरकारी अनुदानों के बारे में आख्यान बदलने का यह प्रयास नई राह बनाता है। ज्यादातर सब्सिडी कम जरूरतमंद लोग चट कर गए हैं, इसके बारे में बहुत सार्वजनिक विमर्श हुआ है।
आखिर बिहार से सांसद पत‌ि-पत्नी की क्या है मंशा

आखिर बिहार से सांसद पत‌ि-पत्नी की क्या है मंशा

बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव राष्ट्रीय जनता दल से चुनाव जीते थे लेकिन उनकी पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर सुपौल संसदीय सीट से सांसद बनीं। अलग-अलग दलों से चुुनाव जीतने को लेकर उस समय तो सरगर्मी तेज रही लेकिन अब सियासी गलियारे में चर्चा तेज है कि आखिर इन पति-पत्नी की अब मंशा क्या है?
क्या यह घोटाला ‘सेंसर’ होगा

क्या यह घोटाला ‘सेंसर’ होगा

कैग की एक रिपोर्ट में सेंसर बोर्ड द्वारा वर्ष 2012-15 के दौरान कई शर्तों की अवहेलना के लिए और किसी कानून या प्रावधान पर ध्यान दिए बिना ही 172 ए श्रेणी की कई फिल्मों को यूए श्रेणी में डाले जाने तथा यू श्रेणी की 166 फिल्मों को यूए श्रेणी में डाले जाने की आलोचना की है। यह जानकारी एक आरटीआई के जवाब में मिली है।
क्या ओली हो जाएंगे नेपाल के प्रधानमंत्री

क्या ओली हो जाएंगे नेपाल के प्रधानमंत्री

नेपाल में अर्से से लंबित संविधान क्या इस माह के अंत तक लागू हो पाएगा इसको लेकर नेपाल के सियासी गलियारे में चर्चाएं तेज हैं। क्योंकि संविधान लागू होते ही नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के साथ हुए समझौते के मुताबिक सीपीएन-यूएमएल के नेतृत्व में नई सरकार का गठन होगा और इसके नेता केपी ओली नेपाल के नए प्रधानमंत्री बनेंगे।
क्या मोदी ने मोदी को पटाया?

क्या मोदी ने मोदी को पटाया?

ऐसा लगता है कि पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कुछ खास समझ बन रही है। तभी तो लगातार भाजपा नेताओं के लिए परेशानी का कारण बने ललित मोदी प्रधानमंत्री मोदी की शान में कसीदे पढ़ रह हैं।
प्रधानमंत्री की जुबान क्या फिसली जनता का गुस्सा फूट पड़ा

प्रधानमंत्री की जुबान क्या फिसली जनता का गुस्सा फूट पड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तो यह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए प्रशंसा का जुमला था लेकिन उनकी जुबान क्या फिसली कि कुछ ही देर में टि्वटर पर #DespiteBeingAWoman टॉप ट्रेंड करने लगा। जनता ने भौंहें तानते हुए जी भर भड़ास निकाली। जनता ने याद दिलाया महिला के रूप में अगर दृड़ प्रधानमंत्री की ही बात है तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को नरेंद्र मोदी कैसे भूल गए। गौरतलब है कि ढाका विश्वविद्यालय में बोलते हुए मोदी ने कहा कि, 'हम हर बात का समाधान जानते हैं, लेकिन आतंकवाद का नहीं। मुझे खुशी है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने एक महिला होने के बावजूद आतंकवाद को 'कतई बर्दाश्त नहीं करने' का ऐलान किया है।'
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

मिसरा बेशक यह साहिर लुधियानवी के गीत का है लेकिन अफसानानिगार सआदत हसन मंटो पर सटीक बैठता है। ताउम्र ढोंग, तमाशे और साहित्य की राजनीति से दूर रहने वाले मंटो ने कहा था- ‘ हर शहर में बदरौएं और मोरियां मौजूद हैं जो शहर की गंदगी को बाहर ले जाती हैं। हम अगर अपने मरमरी गुसलखानों की बात कर सकते हैं, अगर हम साबुन और लैवेंडर का जिक्रकर सकते हैं तो उन मोरियों और बदरौओं का जिक्र क्यों नहीं कर सकते जो हमारे बदन की मैल पीती हैं।‘ मंटो की 100वीं जन्मशताब्दी से लेकर आज तक उनके नाम पर उनके तथाकथित मुरीदों ने राजनीति, तमाशा और ढोंग ही किया है। मंटो के इन मुरीदों को वह सब चाहिए जो मंटो को नहीं चाहिए था। मंटो के माएने तो यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है।
अब कौन सलमान का फैन

अब कौन सलमान का फैन

सलमान का भोला-भोला चेहरा हमेशा से ही लोगों के जहन में बहुत आसानी से जगह बनाता आया है। लाखों लोग उनके प्रशंसक हैं। उनकी भूमिकाओं के जरिए उनसे प्यार करने वालों की कमी नहीं है। अब जब सालों से चल रहे मुकदमे में उन्हें सजा हो गई है तो लाजिमी है कि उनके प्रशंसक जानें कि दरअसल वह उतने भोले भी नहीं जितने परदे पर दिखते हैं।
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