संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भारत से उस कानून को निरस्त करने का आह्वान किया है, जिसमें गैर-सरकारी संगठनों को मिलने वाले विदेशी अनुदान को रोकने के प्रावधान हैं।
मानवाधिकार समूह द ह्यूमन राइट्स वाच (एचआरडब्ल्यू) ने कहा है कि भारत राजद्रोह और आपराधिक मानहानि जैसे अस्पष्ट शब्दों वाले कानूनों का इस्तेमाल नियमित रूप से असंतोष को दबाने के लिए राजनीतिक हथियार के तौर पर करता है। एचआरडब्ल्यू ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह ऐसे कानूनों को रद्द करे जिनका इस्तेमाल शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को गैरकानूनी घोषित करने के लिए किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कह दिया कि ‘अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार असीमित नहीं है।’ गंभीर मानहानि के मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दो साल की सजा भी दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रह्मण्यम स्वामी, राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल पर दायर मानहानि के मामले की सुनवाई में यह व्यवस्था दी।
प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर और शिक्षाविद दीपक नैयर सहित जेएनयू के दस प्रोफेसर एमिरेट्स ने विश्वविद्यालय के कुलपति जगदीश कुमार को पत्र लिखा है। शिक्षाविदों ने जेएनयू प्रशासन पर 9 फरवरी को हुए विवादास्पद कार्यक्रम के सिलसिले में छात्रों को कड़ा दंड देकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात करने का आरोप लगाया है।
‘तोप चलाओ और सत्ता पाओ’। वह बात भूल जाएं कि तोप के बजाय अखबार निकालें, क्योंकि सरकारी बंदूक रखने वाले इसी हथियार की ताकत से सत्ता के बड़े पदों की कामना करने लगते हैं। तभी तो जल्द ही रिटायर होने वाले दिल्ली के पुलिस आयुक्त बी.एस. बस्सी ने राजनीतिक तोप इस्तेमाल कर राष्ट्रद्रोह के वर्तमान कानून को खत्म करने के बजाय इसका दायरा बढ़ाने की सलाह दे डाली है।
डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों पर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अरविंद केजरीवाल के ऊपर झूठा प्रचार करने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसा लगता है कि वह झूठ और बदनामी में भरोसा करते हैं। जेटली ने केजरीवाल पर प्रहार करते हुए कहा कि वह उन्माद की हदें छूने वाली भाषा बोलते हैं।
जन लोकपाल बिल को लेकर स्वराज अभियान के नेता प्रशांत भूषण ने अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। प्रशांत भूषण ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार की ओर से लाया जा रहा जन लोकपाल विधेयक वर्ष 2014 के उस विधेयक से पूरी तरह अलग है, जिसके लिए केजरीवाल ने सत्ता छोड़ने की बात कही थी।
देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री और बाबरी मस्जिद के खिलाफ उग्र राष्ट्रव्यापी मंदिर आंदोलन चलाने वाले लालकृष्ण आडवाणी का मानना है कि देश में असहिष्णुता का माहौल बढ़ रहा है। यह लोकतंत्र की भावना के विपरीत है। इस टिप्पणी का संदर्भ भी कम दिलचस्प नहीं है।