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Search Result : "खून के आंसू"

चढ़ाने के लिए नए खून जितना ही अच्छा है पुराना खून: अध्ययन

चढ़ाने के लिए नए खून जितना ही अच्छा है पुराना खून: अध्ययन

आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि मरीज को बचाने के लिए नया खून चढ़ाना बेहतर रहता है लेकिन एक नए अध्ययन में इस धारणा से विपरीत निष्कर्ष निकाले गए हैं। यह अध्ययन कहता है कि मरीजों को चढ़ाने के लिए नए खून का इस्तेमाल पुराने खून के इस्तेमाल की तुलना में मरीजों के बचने के मामलों की संख्या को बढ़ाता नहीं है। यह अध्ययन चार देशों के छह अस्पतालों में लगभग 31,500 मरीजों पर किया गया। इसमें दिखाया गया कि एकदम ताजा लिए गए खून को चढ़ाने से अस्पताल में मरने वाले मरीजों की संख्या में कमी नहीं आई।
खून के लिए ली छिपकली की जान, होगी कार्रवाई

खून के लिए ली छिपकली की जान, होगी कार्रवाई

खास तरह की एक छिपकली को काटकर उसका खून ग्लास में डालकर कुछ लोगों के पीने का वायरल हुआ फुटेज तमिल टेलीविजन पर दिखाया गया, जिसके बाद वन विभाग के अधिकारी दोषियों को पकड़ने के लिए हरकत में आए।
शहीद जवानों के खून की दलाली कर रहे हैं मोदी: राहुल

शहीद जवानों के खून की दलाली कर रहे हैं मोदी: राहुल

नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर किए गए लक्षित हमले पर जारी बहसों के बीच आज कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जवानों की शहादत का राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
सिंधु जल पर पीएम मोदी बोले, खून और पानी साथ नहीं ब‍ह सकता

सिंधु जल पर पीएम मोदी बोले, खून और पानी साथ नहीं ब‍ह सकता

सिंधु जल समझौते पर सोमवार को बुलाई गई बैठक में पीएम मोदी ने साफ कहा है कि खून और पानी साथ नहीं बह सकता। बैठक में भारत-पाकिस्तान को कम पानी देने पर भी विचार किया गया और सिंधु जल समझौते पर पुनर्विचार करने को भी कहा गया। हालांकि अभी समझौता रद्द करने को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ।
नेशनल प्‍लेयर ने की खुदकुशी, खून से खत लिख पीएम मोदी से मांगा इंसाफ

नेशनल प्‍लेयर ने की खुदकुशी, खून से खत लिख पीएम मोदी से मांगा इंसाफ

देश में क्रिकेट के अलावा अन्‍य खेलों और उनके खिलाड़ियों की हालत कितनी खराब है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक नेशनल खिलाड़ी इसलिए मौत को गले लगा लेती है क्योंकि उसको फ्री हॉस्टल की सुविधा नहीं दी गई। हैंडबॉल खिलाड़ी पूजा पटियाला में बी.ए. सेकेंड ईयर की स्टूडेंट थी। उचित सुविधा नहीं मिलने की वजह से उसने खुदकुशी कर ली। उसने खून से अपना सुसाइड नोट देश के पीएम नरेंद्र मोदी के नाम लिखा।
भीड़ ने उना से लौट रहे दलितों के समूह को पीटा

भीड़ ने उना से लौट रहे दलितों के समूह को पीटा

गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के उना शहर में एक प्रदर्शन रैली से घर लौट रहे 20 दलितों के एक समूह पर समतर गांव के पास भीड़ ने हमला कर दिया, जिसमें आठ दलित गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना सोमवार शाम करीब पांच बजे हुई। पुलिस ने भीड़ को भगाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और हल्का लाठी चार्ज भी किया। हालांकि पीडि़तों का दावा है कि पुलिस ने उनकी मदद के लिए कुछ नहीं किया।
घाटी को हिंसा से बाहर लाने के लिए महबूबा ने जनता से मांगा सहयोग

घाटी को हिंसा से बाहर लाने के लिए महबूबा ने जनता से मांगा सहयोग

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी को हिंसा और खून-खराबे के दौर से बाहर निकालने के लिए आज जनता से सहयोग मांगा। महबूबा ने कहा कि घाटी में हुई मौतों के कारण उनका दय दुख और संताप से भर गया है।
हृदय की बिगड़ती सेहत को 10 साल पहले बता सकता है आपका खून

हृदय की बिगड़ती सेहत को 10 साल पहले बता सकता है आपका खून

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नया तरीका इजाद किया है जिससे किसी के खून के जरिए उस व्यक्ति को 10 साल बाद होने वाली हृदय की बीमारी का पूर्वानुमान किया जा सकता है।
अफगानिस्‍तान मूल के इस शख्‍स ने अमेरिका में खेली खून की होली

अफगानिस्‍तान मूल के इस शख्‍स ने अमेरिका में खेली खून की होली

अमेरिका में फ्लोरिडा के ओरलैंडो स्थित एक ‘गे क्लब' में भारी हथियारों से लैस हमलावर ने अंधाधुंध गोलियां बरसाकर 50 लोगों की हत्‍या कर दी है। घटना में करीब 53 लोग घायल हैं। मीडिया के अनुसार अफगानिस्‍तान मूल के ओमर मतीन नामक व्‍यक्ति ने क्‍लब में गोलीबारी की। 29 वर्षीय अमेरिकी नागरिक मतीन न्‍यूयार्क में पैदा हुआ था। पुलिस ने उसे तुरंत मार गिराया। पुलिस का कहना है कि अमेरिका के इतिहास में अब तक का यह सबसे भयावह गोलीबारी कांड है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसे आतंकी हमला करार दिया है।
चर्चाः पत्थर का सिंहासन, न्याय के आंसू | आलोक मेहता

चर्चाः पत्थर का सिंहासन, न्याय के आंसू | आलोक मेहता

देश-दुनिया को न्याय दिलाने वाले भारतीय न्यायाधीशों की कोई यूनियन नहीं होती। वे नारे नहीं लगा सकते। विरोध में प्रदर्शन नहीं कर सकते। स्वयं बनाई आचार संहिता के तहत अधिकांश न्यायाधीश भव्य पार्टियों से भी बचते रहते हैं। निजी समारोह में भी कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करते। विधि संस्‍थानों अथवा प्रतिष्ठित संस्‍थानों को छोड़कर सभाओं को संबोधित करने नहीं जाते। केवल सत्य निष्‍ठा और निष्पक्ष न्याय उनका मूल मंत्र और लक्ष्य होता है। कानूनी ग्रंथों के अलावा अदालत में प्रस्तुत प्रकरणों की मोटी फाइलें दिन-रात पढ़ते और फैसले लिखते हैं।
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