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Search Result : "गुजरात दंगे"

निकाय चुनावः मोदी के गृह जिले में हारी भाजपा

निकाय चुनावः मोदी के गृह जिले में हारी भाजपा

गुजरात के निकाय चुनाव राज्य में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए झटका साबित हुए हैं। हालांकि राज्य की सभी छह नगर निगमों में पार्टी ने फिर से अपनी सत्ता कायम कर ली है मगर राज्य के ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस ने जोरदार वापसी की है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह जिले मेहसाणा के जिला पंचायत और नगरपालिका दोनों जगह कांग्रेस की जीत हुई है।
तीस्ता को 31 जनवरी तक गिरफ्तारी से राहत

तीस्ता को 31 जनवरी तक गिरफ्तारी से राहत

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के 2002 के दंगों में तबाह अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में संग्रहालय के निमित्त धन का कथित रूप से गबन करने से संबंधित मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और उनके पति को गिरफ्तारी से प्राप्त अंतरिम संरक्षण की अवधि आज 31 जनवरी तक बढ़ा दी। न्यायमूर्ति ए.आर. दवे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, अंतरिम राहत 31 जनवरी तक जारी रहेगी।
बोले प्रणब, असल गंदगी दिमाग में

बोले प्रणब, असल गंदगी दिमाग में

असहिष्णुता पर बढ़ते विवाद के बीच कड़ा संदेश देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि लोगों को अपने मन मस्तिष्क से विभाजनकारी विचारों को हटाना चाहिए तथा सार्वजनिक अभिव्यक्ति को सभी तरह की हिंसा से मुक्त करना चाहिए।
हार्दिक को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, फिलहाल जेल में रहेंगे

हार्दिक को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, फिलहाल जेल में रहेंगे

देशद्रोह के आरोपों से घिरे आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिल पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जमानत याचिका पर मामले की जांच पूरी होने के बाद विचार किया जाएगा। सर्वोच्‍च अदालत ने गुजरात पुलिस को जांच पूरी करने के लिए डेढ़ महीने का समय दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना चार्जशीट दाखिल नहीं होगी।
विकसित गुजरात के गटर में दम तोड़ता जीवन

विकसित गुजरात के गटर में दम तोड़ता जीवन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के ढोल की पोल गुजरात में खुल रही। अहमदाबाद में सीवर में मौत के बाद एफआईआर तक आसानी से नहीं होती है दर्ज, गौर कानून प्रथा चल रहे है खुलेआम, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप 10 लाख रुपये का मुआवजा भी परिजनों को नहीं नसीब
84 के दंगों के बाद कांग्रेस को असहिष्णुता पर बोलने का हक नहीं: मोदी

84 के दंगों के बाद कांग्रेस को असहिष्णुता पर बोलने का हक नहीं: मोदी

देश में कथित तौर पर बढ़ती असहिष्णुता पर विपक्ष समेत विभिन्न वर्गों की आलोचनाओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया है। उन्‍होंने कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद कांग्रेस को असहिष्णुता पर हमें उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है, वे इस विषय पर ड्रामा कर रहे हैं।
हार्दिक के खिलाफ प्रथम दृष्टया देशद्रोह का मामला: हाईकोर्ट

हार्दिक के खिलाफ प्रथम दृष्टया देशद्रोह का मामला: हाईकोर्ट

गुजरात उच्च न्यायालय ने पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ सूरत में दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने से इंकार करते हुए कहा है कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया देशद्रोह का मामला बनता है। हालांकि अदालत ने प्राथमिकी से भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए यानी दो समुदायों के बीच शत्रुता पैदा करना के आरोप को हटाने के आदेश दिए हैं।
हार्दिक पटेल पर देशद्रोह का मामला दर्ज

हार्दिक पटेल पर देशद्रोह का मामला दर्ज

पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल की ओर से अपने समुदाय के युवकों को आत्महत्या करने के बजाय पुलिसकर्मियों को मारने के लिए कथित तौर पर उकसाने को लेकर आज उनके खिलाफ गुजरात पुलिस ने देशद्रोह के आरोप के तहत मामला दर्ज लिया है।
विशेष पड़ताल: अब सवालों के घेरे में आनंदी बेन पटेल

विशेष पड़ताल: अब सवालों के घेरे में आनंदी बेन पटेल

सत्ता में आने के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी के साथ कोई न कोई विवाद चल ही रहा है। केंद्र की बात छोड़ भी दें तो इसकी राज्य सरकारें लगातार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर रही हैं। मध्य प्रदेश में व्यापमं, राजस्थान में ललित मोदी प्रकरण, महाराष्ट्र में पंकजा मुंडे पर लगे आरोपों के बाद अब ताजा मामला है गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल का।
‘रोटी कमाने वाले कायम रहें’

‘रोटी कमाने वाले कायम रहें’

जिसे जिसका मांस खाना हो खाए, कोई गाय को माता माने या न माने, कोई बार-बार विदेश जाकर भारत की जैसी मर्जी महिमा मंडन करे, कोई किसी को मुल्ला कहे या पाकिस्तानी। मुसलमानों के एक बहुत बड़े वर्ग को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। ये मध्य और निम्न मध्य वर्ग के वे मुसलमान हैं जो दंगों की लपटों में झुलस जाते हैं। इस वर्ग को मतलब है तो सिर्फ इस बात से कि इन्हें दो जून की रोटी मिलती रहे और रोटी कमाने वाले कायम रहें। ये अपने गांव में रहते रहें क्योंकि दूसरी किसी जगह पर ठिकाना नहीं है। इन्हें रहने के लिए गांव छोडक़र कैंपों में न जाना पड़े। यही इनकी सबसे बड़ी फिक्र है।